100 किमी अकेले चलकर मालिक के पास पहुंचा ऊंट
मंगोलिया: घर और अपना शहर ही पसंद करना, दूसरे शहर का पसंद नहीं आना जैसी मनोदशा को होम सिकनेस कहा जाता है. इंसान के अलावा जानवर भी इसका शिकार हो सकते हैं. ऐसा ही दिलचस्प मामला चीन (China) के मंगोलिया में सामने आया, जहां एक ऊंट पुराने मालिक के पास वापस जाने के लिए 7 दिन तक सड़क और रेगिस्तान को नापने के बाद करीब 100 किलोमीटर सफर तय करके पुराने मालिक के पास पहुंच गया. मुश्किल सफर में उसे कई मुश्किलें आईं.जब ये बेजुबान और वफादार ऊंट अपनी मंजिल पर पहुंचा तो उसके शरीर पर घाव के निशान थे,और वो काफी थका हुआ था. पुराने जानवर को वापस देख उस किसान की आंख भर आई, जो इसे बेंच चुका था.
क्या थी वजह -
दरअसल बूढ़ा होने के चलते पिछले साल अक्टूबर में इसे बेंच दिया गया था लेकिन नए मालिक के पास उसका मन नहीं लगा. लेकिन 8 महीने बाद ये आखिरकार अपने पुराने मालिक के पास लौट आया. स्थानीय लोगों का कहना है कि शायद पहले भी इसने ऐसी कोशिश की होगी,लेकिन तब वो कामयाब नहीं हुआ होगा. पुराने मालिक से मिले प्यार के बदले की उसकी वफादारी को भी इसकी वजह माना जा रहा है.
क्या रहा टर्निंग प्वाइंट -
ये ऊंट जब रेगिस्तान से गुजर रहा था, तब एक चरवाहे की उस पर नजर पड़ी जो उसे पहले से पहचानता था. वह ऊंट को लेकर उसके पुराने मालिक के पास पहुंचा.स्थानीय मीडिया ने जह इस ख़बर की रिपोर्टिंग की तो हर किसी को इस बेजुबान की वफादारी जमकर पसंद आई. इससे जुड़ा वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. ऊंट की पुरानी मालकिन ने कहा कि उन्होने दूसरे किसी जानवर के बदले इसे वापस खरीदा.
क्यों कहा जाता है रेगिस्तान का जहाज -
ऊंट शाकाहारी जानवर है, जो लंबे समय तक प्यास सहन कर सकता है. स्तनधारी पशुओं में जिराफ के बाद ऊंट दूसरे नंबर पर आता है. एक ऊंट औसतन 40-45 साल तक जिंदा रह सकता है. शारीरिक संरचना के अलावा उसकी मनोदशा की वजह से उसे रेगिस्तान के जहाज की पदवी दी गई होगी.
रेत का राजा ! और भ्रांति -
कुछ लोगों का मानना है कि ऊंट अपने कूबड़ में पानी जमा करके रखता है, जो सरासर गलत है. वास्तव में उनके कूबड़ में फैट जमा होती है. जब उसे रेगिस्तान में कई दिनों तक खाना-पानी नहीं मिलता, तब कूबड़ में जमा फैट ही उन्हें ताकत देता है. जैसे-जैसे यह फैट खत्म होता जाता है, वैसे-वैसे ऊंट का कूबड़ छोटा हो जाता है.