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118 साल के बाद दिखा ये दुर्लभ फूल



लखीमपुर खीरी जिले में दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल से एक अच्छी खबर आई है. दुधवा के जंगल में करीब 118 साल के बाद आर्किड के पौधे पर फूल खिला है. साथ ही उसमें फल भी आ रहे हैं.  जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों में खुशी की लहर दौड़ गई.

दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि वह अपने स्टाफ के साथ घास प्रबंधन की मॉनिटरिंग करने के लिए जंगल में निकले थे. तभी रास्ते में उन्हें आर्किड के पौधे दिखाई दिए. फूलों को देखकर उन्होंने गाड़ी रोककर उसकी फोटो ली और उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया. दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक की मानें तो यह आर्किड का पौधा पिछले करीब 118 साल पहले यानी 1902 में देखा गया था जिसके बाद 2020 में इसके दर्शन हुए हैं. ये दुधवा के लिए एक शुभ लक्षण है.

दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि यह पौधा एक आर्किड है जो कि आर्नामेंटल स्पेसीज होती है. इसकी बहुत सारी प्रजातियां हैं इसलिए यह आर्नामेंटल की कैटेगरी में आता है. मुख्यता यह आर्किड पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है. जानकारी के मुताबिक, ज्यादातर यह सिक्किम, दार्जिलिंग, गुवाहाटी या उत्तराखंड की पहाड़ी में पाया जाता है.

संजय पाठक का कहना कि यह आर्किड पौधा पीलीभीत जिले में भी पाया गया था. उससे ठीक मिलता-जुलता पौधे की तराई में अपनी हेबिटेट है. उसी तरीके का पौधा दुधवा में भी पाया गया है. दुधवा के लिए सुखद खबर है कि ये यहां काफी संख्या में पाया गया है. एक जुलाई को हम लोग घास के मैदान में प्रबंधन की मॉनिटरिंग कर रहे थे. उस दौरान हम लोगों ने उस फूल को देखा. हम लोगों को थोड़ा आश्चर्य हुआ तो हम लोगों ने उसकी फोटोग्राफी की और इसके बारे में पता करने का प्रयास किया.

इस आर्किड फूल के बारे में वनस्पति वैज्ञानिक से बात की गई. बांग्लादेश के वनस्पति शास्त्री  शरीफ हुसैन सौरव ने जर्मनी में इस फूल की तस्वीर को देखकर अपनी राय रखी. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में इस फूल को 2014 में आखिरी बार देखा गया था. उस समय भी यह खेतों में पाया गया था. वहीं, संजय पाठक का कहना है कि जंगल के अंदर हमें यह कई जगह अच्छी तादाद में दिखाई दिए हैं. डिप्टी डायरेक्टर मनोज सोनकर ने जांच में पाया कि उसमें फूल के अलावा फल भी लगे हुए हैं.

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