घर में क्यों नहीं रखना चाहिए महाभारत ग्रंथ ?
धर्मयुद्ध की कहानी
धर्मयुद्ध की कहानी महाभारत युद्ध को दुनिया के सबसे भयानक और खौफनाक युद्ध के रूप में जाना जाता है। लगभग 16 दिनों तक चले इस युद्ध के विषय में ऐसा कहा जाता है कि इसमें इतना इंसानी खून बहा था कि आज तक कुरुक्षेत्र, जहां कौरव-पांडव का यह युद्ध हुआ था, के मैदान की मिट्टी का रंग लाल है।
महाभारत की शिक्षाएं
महाभारत की कहानी मुख्य रूप से भले ही चचेरे भाइयों के बीच युद्ध की कहानी हो लेकिन महाभारत की शिक्षाएं जीवन के अन्य बहुत से पहलुओं के लिए भी उपयोगी हैं।
संयमित संबंध
महाभारत युद्ध के पश्चात मृत्यु का इंतजार कर रहे भीष्म पितामह ने पांडवों को कुछ ऐसी शिक्षाएं प्रदान कीं, जो किसी भी इंसान को एक बेहतरीन नेता बना सकती हैं। इसके अलावा पांचों भाइयों की पत्नी होने के बावजूद द्रौपदी और पांडवों के बीच संयमित संबंध भी महाभारत का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा है।
रामायण
लेकिन फिर भी राम और रावण के युद्ध की कहानी रामायण हर किसी के घर में मिलती है, यहां तक की नई-नवेली दुल्हन को भी उसके परिवारवाले रामायण देकर ही घर से विदा करते हैं परंतु महाभारत कोई भी अपने घर में नहीं रखता। क्या आप जानते हैं इसके पीछे कारण क्या है?
परिवार में द्वेष
बहुत से लोग कहते हैं महाभारत सिर्फ युद्ध की कहानी है इसीलिए अगर इसे घर में रखा गया तो घर के भीतर भी कलह का वातावरण जन्म लेगा और परिवार में द्वेष की भावना बढ़ेगी। लेकिन यह कारण सही नहीं है।
गुप्त रहस्य
चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या कारण है जो कोई भी महाभारत अपने घर में रखने के लिए तैयार नहीं होता। इसके अलावा हम आपको महाभारत के कुछ ऐसे गुप्त रहस्यों से भी अवगत करवाएंगे जो वाकई अनोखे हैं।
रिश्तों की उधेड़बुन
महाभारत की कहानी संबंधों के उधेड़बुन की कहानी है। एक ही पिता की संतान, पांडवों का अलग-अलग देवों की वजह से जन्म हुआ था। जो वर्तमान समय के मद्देनजर किसी की भी समझ से बाहर है।
द्रौपदी या वेश्या!
इसके अलावा द्रौपदी जिसके पांच पति थे, का अपने पतियों से संबंध भी समझ से बाहर है क्योंकि आज एक ऐसी स्त्री, जिसके एक से अधिक पति हों, को समाज वेश्या समझता है। ये दो ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से कोई भी अपने घर महाभारत नहीं रखना चाहता।
वेद व्यास का रहस्य
लोग यह जानते हैं कि महाभारत को वेद व्यास ने लिखा था, लेकिन बहुत ही कम लोग इस बात से अवगत हैं कि वेद व्यास किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं है बल्कि वेदों की जानकारी रखने वाले लोगों का सरनेम होता है।
कृष्णद्वैपायन
कृष्णद्वैपायन से पूर्व करीब 27 वेद व्यास मौजूद थे। महाभारत के रचनाकार ‘वेद व्यास’ का जन्म एक द्वीप पर हुआ था और वे बेहद काले थे। इसीलिए उनका नाम कृष्णद्वैपायन रखा गया।
युद्ध के दौरान कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, उन्हीं उपदेशों को गीता के रूप में संकलित किया गया। लेकिन ऐसा माना जाता है कि कृष्ण के उपदेशों वाली श्रीमद्भागवत गीता ही एकमात्र गीता है। जबकि ये सच नहीं है।
अन्य गीताएं
श्रीमद्भागवत गीता के अलावा व्याध गीता, पराशर गीता, अष्टावक्र गीता समेत अन्य 10 गीताएं भी मौजूद हैं।
सही-गलत
लोग यह भी मानते हैं कि महाभारत धर्मपालन और सही-गलत की पहचान करना सिखाती है। ऐसी धारणा है कि क्या सही है और क्या गलत यह महाभारत में भली प्रकार से उल्लिखित है जबकि असल में महाभारत की पूरी कहानी में सही-गलत, सच-झूठ, परिस्थितियों के अनुसार बदलता ही रहा था।
द्रोण पर हमला
उदाहरण के तौर पर द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसका अंग़ूठा मांगा था तो इस मसले पर द्रोण के पात्र को नकारात्मक करार दिया गया। जबकि असल में एक बार जब द्रोण, नदी में नहा रहे थे तब एक मगरमच्छ ने उनके ऊपर हमला कर दिया।
एकलव्य की गुरु दक्षिणा
इस समय अर्जुन ने आकर उनके प्राण बचाए और द्रोण ने उनसे वायदा किया कि वह उन्हें दुनिया का सबसे महान धनुर्धर बनाएंगे। लेकिन जब उन्होंने देखा कि एकलव्य, अर्जुन की राह में बाधा बन सकता है तो द्रोण ने उसका अंगूठा मांग लिया। यहां स्वयं द्रोण ने सही और गलत की परिभाषा को बदल दिया।
तारामंडल
महाभारत के समय राशियों से जुड़े राशिफलों का अस्तित्व नहीं था, जितनी भी भविष्यवाणियां हुईं सब तारामंडलों पर आधारित थीं।
महाभारत में विदेशी
भारतीय जमीन पर विदेशियों का आगमन महाभारत के समय से ही चलता आ रहा है। आपको शायद पता ना हो लेकिन महाभारत के युद्ध में भी कई रोमन और मकदूनियों की भूमिका रही थी।
तीन भाग
महाभारत को तीन भागों में पूरा किया गया था। पहले भाग में 8,800 श्लोक, दूसरे भाग में 24,000 श्लोक और तीसरे भाग में एक लाख श्लोक लिखे गए थे।
रहस्य-रोमांच से भरपूर महागाथा
महाभारत अपने आप में एक संपूर्ण ग्रंथ है। इसमें नैतिक शिक्षा, आचरण-व्यवहार, सैन्य रणनीति, राजनीति, समाज व परिवार को एकीकृत करने की विधा सहित स्त्रियों के लिए भी नीति नियमों का संकलन है।