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महायज्ञों की प्रयाज, याज और अनुयाज प्रक्रिया ब्रह्म, विष्णु और महेश स्वरूप है



दामोदर प्रसाद लवानिया उज्जैन उपझोन समन्वयक और राकेश कुमार गुप्ता मध्यक्षोन भोपाल के समन्वयक बने
उज्जैन। गायत्री महायज्ञों की प्रयाज, याज और अनुयाज प्रक्रिया ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वरूप होती है। प्रयाज के अंतर्गत सभी तरह के निर्माण जैसे बातावरण, क्षेत्र, याजक, और यज्ञशाला निर्माण शामिल है। याज साक्षात विष्णु रूप में पोषण परक काम है जिसमें देवताओं के साथ प्राकृतिक संतुलन (इकोलॉजीकल वैलेंस) बनाने बाली शक्तियां और शामिल याजकों का पोषण होता है। अनुयाज के अंतर्गत भगवान शिव की संतुलनकारी शक्ति का उपयोग यज्ञीय ऊर्जा का उपयोग देवत्व संवर्धन के लिए किया जाता है। 
यह जानकारी गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर अगले दिनों क्षेत्र में होने वाले 108, 24, 9 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ आयोजन समिति के संयोजक मंडल की कार्यशाला में देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने दी। नीति टंडन ने यज्ञ के वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा में बताया कि यज्ञ के माध्यम से ध्वनि शक्ति (मंत्रों) को अग्निशक्ति के साथ जोड़कर महाशक्ति का निर्माण किया जाता है। गायत्री यज्ञों का प्राण ज्ञान यज्ञ बिषय पर चर्चा के दौरान डाँ शशिकांत शास्त्री ने बताया कि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं श्रीराम शर्मा आचार्य का प्राण उनके द्वारा रचित साहित्य है। एक संस्मरण सुनाते हुए आपने बताया कि एक व्यक्ति ने गुरुदेव पर चाकू से हमला किया। हमले के बाद उपचार कर रहे डाक्टरों ने गुरुदेव से पूछा कि क्या आप लेफ्टी हैं। तब गुरूदेव ने कहा नहीं में तो सीधे हाथ से काम करता हूँ। डाक्टरों ने पूछा फिर वायें हाथ से आपने बचाव किया सारी चोटें उल्टे हाथ में हैं, तब गुरूदेव ने कहा में सीधे हाथ से लिखता हूँ इसलिए मैने सीधे हाथ को बचाया क्योंकि सीधे हाथ की उंगलियों में चोट लगने से हमारा लेखन कार्य प्रभावित होता और युग निर्माण का काम प्रभावित होता। शास्त्री ने कहा कि गुरुदेव के जीवन में लेखन की कितनी महत्ता थी इससे जानकर ज्ञान यज्ञ के माध्यम से युग परिवर्तनकारी उनका साहित्य ही गायत्री महायज्ञों का प्राण है इसे हर याजक को दिया जाना चाहिए। कार्यशाला के दौरान महेश विश्वकर्मा आमला, रामप्रसाद सरिया माकड़ौन, शोभा यादव उज्जैन, नंदकिशोर पाटीदार कनार्दी की संकायों का समाधान राकेश कुमार गुप्ता ने किया।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में उज्जैन उपझोन में अभी तक उपक्षोन समन्वयक का दायित्व संभाल रहे राकेश कुमार गुप्ता को बड़ा दायित्व मध्यक्षोन समन्वयक भोपाल (पूरे प्रदेश) का दायित्व मिलने पर बधाई और उज्जैन से विदाई दी गई। वहीं नवागत उज्जैन उपझोन समन्वयक दामोदर प्रसाद लवानिया का स्वागत किया गया। इस अवसर लवानिया ने परिजनों से कहा कि महाकाल की नगरी और अवंतिका क्षेत्र में काम करने का सौभाग्य मिला है इस अवसर को जीवन के लिए सौभाग्य मानता हूँ। राकेश कुमार गुप्ता द्वारा अभियान को जो गति दी गई है उसे और तेजी से चलाने का प्रयास अपनी पूरी क्षमता से करुंगा। इसमें आप सब का पूरा-पूरा सहयोग मिलता रहेगा यही अनुरोध है। इस अवसर पर उज्जैन उपक्षोन के जिलों नीमच, मंदसौर, रतलाम, शाजापुर, आगर और उज्जैन के जिला समन्वयक ट्रस्टों के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी और वरिष्ठ परिजन उपस्थित थे। कार्यशाला के प्रथम सत्र का संचालन जगदीश आचार्य और द्वितीय सत्र का संचालन शैलेन्द्र श्रीवास्तव शाजापुर ने किया एवं आभार सुरेश श्रीवास्तव स्थानीय उपक्षोन सहयोगी ने व्यक्त किया।
आज नवमी का श्राध्द
देेवेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार आज 23 सितंबर को नवमीं का श्राद्ध तर्पण एवं पिंडदान का संचालन महिला आचार्यों द्वारा किया जाएगा।

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