हमारे देश की पहचान सनातन संस्कृति है जिस पर हमें गर्व है-महामंडलेश्वर आचार्य शेखर जी पद्मश्री डॉ. मूसलगांवकर को संस्कृति संवाहक सम्मान प्रदान किया गया
उज्जैन- सनातन संस्कृति भारत की पहचान है देश में हमारी संस्कृति, सभ्यता पर अलग-अलग तरीके से चोट पहुंचाने के प्रयास होते रहे हैं,पर सत्य यह है कि हमारी सनातन संस्कृति पर आघात करने वालों को सफलता नहीं मिलती है।अपितु वे खुद ही खत्म हो जाते हैं। पद्मश्री डॉ मूसलगांवकर जी को संस्कृति संवाहक सम्मान 2025 प्रदान करने का संस्कृति रक्षक मंच का निर्णय सराहनीय है मैं मंच के अध्यक्ष पं.शिवेंद्र तिवारी एवं उनकी पूरी टीम को इस ऐतिहासिक व सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई व साधुवाद देता हूं। यह बात महामंडलेश्वर स्वामी अतुलेशवरानंद जी महाराज (आचार्य शेखर जी)ने माधव सेवा न्यास परिसर स्थित भारत माता मंदिर के मा. सुदर्शन सभागृह में संस्कृति रक्षक मंच उज्जैन द्वारा आयोजित संस्कृति संवाहक सम्मान 2025 प्रदान करने के कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. केशवराव सदाशिवराव शास्त्री मूसलगांवकर को सम्मान प्रदान करते हुए कही। यह सम्मान अतिथियों से उनके पुत्र डॉ राजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर ने प्राप्त किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर आचार्य शेखर जी ने कहा कि जो विधर्मी सनातन संस्कृति को लेकर कुछ तो भी बयानबाजी करते हैं उन्हें एक बार प्रयाग कुंभ में जाकर देखना चाहिए कि करोड़ों सनातनी सनातन की रक्षा के लिए तत्पर है, साथ ही हमारे सनातन संस्कृति र्सजन के लिए है ना कि विध्वंस के लिए। कार्यक्रम में उपस्थित महापौर श्री मुकेश टटवाल ने इस मौके पर कहा कि हमारे संस्कृति में सभी अलग-अलग मत, संप्रदाय को मानने वाले लोग हैं और उन्हें इसे मानने की स्वतंत्रता है पर सभी एक ही है और यही वजह है कि हमारी सनातन संस्कृति पर न जाने कितनी बार वार हुए पर आज भी वह अक्षुण्ण है आज पद्मश्री डॉ.मूसलगांवकर जी को संस्कृति संवाहक सम्मान प्रदान कर हम गौरवान्वित भी है और इतने अच्छे कार्यक्रम के आयोजन हेतु मैं संस्कृति रक्षक मंच के सभी पदाधिकारीयों को बधाई देता हूं क्योंकि ये सभी लोग वर्षों से धर्म, संस्कृति के लिए कार्य कर रहे हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मंच के अध्यक्ष पं. शिवेंद्र तिवारी ने कहा कि विगत 15 वर्षों से हमारी संस्था समाज में काम कर रही है इस वर्ष हमने 22 जनवरी के ऐतिहासिक दिवस पर संस्कृति संवाहक सम्मान प्रदान करने का निर्णय लिया। क्योंकि आज ही के दिन 500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और आज ही के दिन हम संस्कृत, संस्कृति, शिक्षा व सनातन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 98 वर्षीय पद्मश्री केशवराव सदाशिवराव शास्त्री मूसलगांवकर को संस्कृति संवाहक सम्मान प्रदान कर रहे हैं। श्री तिवारी ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि भगवान श्री महाकालेश्वर की नगरी और भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली में हम रहकर संस्कृति के लिए कार्य कर रहे हैं, क्योंकि जो भी पृथ्वी पर आया है उसे अपने द्वारा किए गए कार्यों का हिसाब तो भगवान को देना ही है।कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया और अतिथियों ने संस्कृति संवाहक सम्मान 2025 से डॉ.मूसलगांवकर की अनुपस्थिति में उनके पुत्र डॉ. राजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर को स्मृति चिन्ह,प्रशस्ति पत्र,शाल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया ।प्रशस्ति पत्र का वचन डॉ.प्रवीण जोशी ने किया व अतिथि परिचय श्री आशुतोष मीणा ने दिया। साथ ही आयोजन एवं संस्था की जानकारी श्री मयूर अग्रवाल ने उपस्थितजनों को दी। एवं आगंतुक अतिथियों का शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह देकर मंच के पदाधिकारीगणो ने सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री मुकेश धाकड़ ने किया एवं आभार श्री राजेश व्यास ने माना। कार्यक्रम में मुख्य रूप से माधव कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ एल एन वर्मा, पूर्व महापौर श्री मदन लाल ललावत,पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष डॉ मदनलाल चौहान, डॉ.आशीष मेहता,शिवप्रसाद मालवीय,अशोक कोटवानी,महेंद्र उपाध्याय,भूपेंद्र कहार,शैलेंद्र सिंह झाला,राम शर्मा नरेश राठौर,महेश साहू,मिलन चौधरी, जितेंद्र अग्रवाल,मोहन चौहान, दिपक सैनी,घनश्याम बारोड, हरिओम तिवारी,विजय चौहान, संदीप राणा,आर एल मिश्रा, विजय पटेल,रूपेश परमार, श्याम पंचोली,सुनील बारोड, मुकेश रघुवंशी,दिनेश कुंभकार, सागर शर्मा,रितेश खबिया,राजेंद्र परब दिलीप शर्मा गुनई, डॉ.मणि मिमरोट, इंदरसिंह गेहलोत, कल्याण शिवहरे,सुहास वेद, सुदर्शन शिशुलकर,अरविंद उपाध्याय आदि उपस्थित थे।