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तालोद में किसानों की 700 बीघा जमीन डूबी



किसानों ने कहा मुआवजा दें, तालाब की सुनिश्चित व्यवस्था करें-वरना भूखमरी और गरीबी ले डूबेगी
उज्जैन। बामोरा तालाब बनाया था किसानों की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए परन्तु यह तालाब तालोद के कुछ किसानो के लिए गरीबी और भुखमरी लाने में सहायक बना बैठा है। जिस पर ना कोई प्रशासन ध्यान दे रहा है ना कोई अधिकारी। इस साल करीब 700 बीघा जमीन डूब गई है। किसानों ने अब उचित मुआवजे की मांग की है वरना उनकी आजीविका पर संकट आ खड़ा होगा।
बामोरा ग्राम पंचायत क्षेत्र और तालोद ग्राम पंचायत क्षेत्र में करीब 25 सौ बीघा जमीन में एक बड़ा तालाब बना हुआ है जिसकी लंबाई करीब 2 किलोमीटर से ज्यादा है और यह तालाब दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा तालाब माना जाता है। बरसों पहले बामोरा ग्राम पंचायत और तालोद ग्राम पंचायत सहित आसपास के कई गांव में वाटर लेवल बड़े और किसान सिंचित खेती कर समृद्ध और आर्थिक रूप से मजबूत हो उसी को लेकर इस तालाब का निर्माण किया गया था पर भारी लापरवाही और अनियमितता के कारण इस तालाब में डूब क्षेत्र में जिन किसानों की जमीन गई हुई है उनको मुआवजा नहीं मिला जिसकी वजह से यह तालाब बारिश में भर जाता है और पानी से भरा हुआ लबालब यह तालाब हजारों बीघा जमीन की फसल को और खेतों को डुबो देता है। जिसमें ऐसे किसान भी परेशान हो जाते हैं जिनको अपनी जमीन का मुआवजा भी नहीं मिला और प्रतिवर्ष लाखों रुपए कीमत की फसल तालाब के पानी में डूब कर खराब हो जाती है। इन किसानों ने अपनी समस्या और परेशानी कई बार लिखित में अधिकारी सहित जनप्रतिनिधियों को बताई कि हमारी जमीन पानी के डूब क्षेत्र में चली जाती है जिसके कारण प्रतिवर्ष हमारी फसल खराब हो जाती है लेकिन कोई राहत राशि और ना ही कोई फसल बीमा सहित राज्य सरकार की योजना का लाभ भी नहीं मिल पाता है और ना ही समस्या का निराकरण हो रहा है। उल्टा किसानों को प्रति वर्ष घाटा हो रहा है। इस हजारों बीघा की जमीन में बने हुए तालाब में बारिश में पानी से लबालब हो जाता है। पर पानी को रोका नहीं जाता है और इस पानी को बेवजह ही छोड़ दिया जाता है। जिससे कुछ महीने में ही यह तालाब पूर्ण रूप से खाली हो जाता है जिसकी वजह से ना तो किसान फसल को पानी पिला पाते हैं और न अपनी जमीन को सिंचित कर पाते हैं। बस कुछ महीने ही यह तालाब लबालब पानी से भरा हुआ दिखाई देता है और फिर देखते ही देखते यह तालाब कुछ महीनों में ही खाली हो जाता है। जबकि शासन और प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए था कि सभी किसानों की सूची बनाकर रिकॉर्ड दुरुस्त कर जमीन को अधिग्रहण करना था कि इस तालाब में कितने किसानों की जमीन तालाब पूर्ण होने पर पानी में डूब जाएगी उन किसानों को क्रमवार अपनी जमीनों का मुआवजा देकर पानी को इस तालाब में रोकना था और फिर नहर के माध्यम से पानी की सप्लाई किसानों को देखकर शुल्क लेकर शासन को भी फायदा होता और किसानों को भी फायदा होता। पर वर्तमान समय में भरपूर बारिश हुई है और यह तालाब लबालब भरा हुआ है पर पानी व्यर्थ में ही बहकर निकल जाएगा और कुछ माह में ही यह तालाब खाली हो जाएगा। साथ ही किसानों को कोई राहत राशि मुआवजा नहीं मिला है। उनकी फसलें खराब हो जाएंगी और ऐसे किसान भुखमरी और कर्ज में दब जाएंगे। तालोद ग्राम पंचायत क्षेत्र के कई किसान ऐसे हैं जिनकी जमीन इस तालाब में डूब जाती है और प्रतिवर्ष इन की फसल खराब हो जाती है तालोद के ग्रामीण बेहद परेशान हैं और शासन प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों के ऑफिसों के चक्कर लगा लगा कर परेशान हैं पर इनकी सुनवाई नहीं हो रही और इनकी समस्या का निराकरण भी नहीं हो रहा है।

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