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हिंदी राष्ट्र की अस्मिता है- डाॅ. प्रेमलता



उज्जैन। हिंदी मातृभाषा नहीं है अपितु वह हमारे राष्ट्र की अस्मिता है, गौरव है। अतः सभी भारतीयों का यह कर्तव्य है कि राष्ट्र के गौरव की रक्षा करें एवं उसमें वृध्दि करने का प्रयास करें।
लोकमान्य तिलक महाविद्यालय में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त हिंदी पखवाड़े के आयोजन पर डाॅ. प्रेमलता चुटैल ने यह वक्तव्य दिये। आपने कहा कि किसी भी राष्ट्र की भाषा राष्ट्र के साथ-साथ वहां के नागरिकों की भी पहचान होती है। हमें सजग रहना होगा एवं भाषा की चेतना को जगाये रखना होगा। इस कार्य को संकल्प के साथ करने से ही सफलता मिलेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. गोविंद गंधे ने की। इस कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के डाॅ. नीरज सारवान एवं महाविद्यालय की समस्त प्राध्यापक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. अनिता अग्रवाल ने किया।

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