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क्षीरसागर स्थित महाराष्ट्र समाज उज्जयीनि में गणेशोत्सव के अंतिम दिवस हास्य नाटक का मंचन


उज्जैन। क्षीरसागर स्थित महाराष्ट्र समाज उज्जयीनि में  गणेशोत्सव के अंतिम दिवस मराठी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. पुल देशपांडे के जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके साहित्य पर आधारित हास्य नाटक पुलंचा बटवा नाटक का मंचन सातारा से आये कलाकारों द्वारा किया गया। पुलांचा बटवा से तात्पर्य दादी-नानी के बटवे से है। जिस प्रकार दादी-नानी के (बटवे) नुस्खों में शारीरिक रोग ठीक होते है। उसी प्रकार लेखक स्व. पुल देशपांडे ने पुलांचा बटवा  के माध्यम आज के मानव की मानसिकता को सुधारने का प्रयास किया है।  
पुलंचा बटवा नाटक में पिता एवं पुत्र, अंतु बर्वा, साक्षीदार एवं बबडू के किरदार का कलाकारों द्वारा बहुत ही सुन्दर तरीके से मंचन किया। शुरूआत की कहानी ने नाटक में एक व्यक्ति के अनुभवों के बारे में बताया। चुलबुली शख्सियत से यह पता चला कि, गलत रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति भी मन से कितना अच्छा हो सकता है। यह बबडू के पात्र से परिलक्षित हुआ है। अंतु बरवा के पात्र की करूणा के भाव से सभी दर्शक रोमांच से भर गये। एक अच्छा पाठ पढाने के लिए अंतु बरवा ने अलग-अलग प्रसंगों के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया। कोर्ट रूम की घटना ने चुटकुलों पर एकल हंसी बिखेरी। इस द्विपात्री प्रयोग में श्री वनराज कुमकार एवं श्री अभय शरद देवरे ने अपने किरदार के साथ न्याय करते हुए अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया। नाटक का दिग्दर्शन श्री श्रीकान्त देवधर द्वारा किया गया।

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