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इस जगत में मेरा कुछ नहीं है जो भी है यही छूट जाना है -प्रभा दीदी


पर्यूषण पर्व के नौवें दिन उत्तम आकिंचन धर्म

मन की खोट और विकारों को हटाना ही आकिंचन धर्म होता है- मुनि मार्दव सागर जी महाराज
सभी शिविरार्थीयो का होगा बहूमान सम्मान
सभी मंदिरों में आज निर्वाण लाडू एवं श्री महावीर तपोभूमि में कल सामूहिक क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा
उज्जैन। श्री महावीर तपोभूमि में श्रावक संस्कार शिविर में प्रभा दीदी ने अकिंचन का अर्थ समझाते हुए कहा की-जगत में मेरा कुछ भी नहीं है. जो कुछ भी है, यहीं का है और यहीं पर छूट जाने वाला है. मैं इस जहां में अकेला आया हूं और अकेले ही मुझे चले जाना है. ये जो संसार का मेला दिख रहा है, यह सिर्फ दो दिन का है. मैं तो यहां मुसाफिर हूं , मेरा यहां अपना कुछ नहीं है, मेरा यहां अपना कोई नहीं है. ये नाते-रिश्तेदार तो जब तक आंख खुली है, तब तक अपने दिखते हैं, आंख मूंदने के बाद तो आगे की यात्रा मुझे अकेले ही करना है. सब छूटने वाले हैं या फिर छोड़ने वाले हैं. कोई इस जीव के न साथ जाता है, न आता है. इसलिये मैं कहती हूं,जीव को अपनी यात्रा एकाकी ही करनी होती है. इस एकाकीपन की साधना का नाम ही अकिंचन धर्म है।
शिविर में विराजमान चैत्यालय में श्री 1008 शांतिनाथ भगवान की शांति धारा करने का सौभाग्य  संस्कार शिविर के सभी श्रावक श्राविका को प्राप्त हुआ प्रथम कलर्स करने का सौभाग्य रमेश एकता को प्राप्त हुआ एवं सुगंधित कलश करने का सौभाग्य रूपेन्द्र सेठी धर्मेन्द्र सेठी सेठी परिवार को प्राप्त हुआ एवं अन्य मंदिरों के अभिषेक व शांति धारा का लाभ रमेश एकता वीरसेन जैन लविश रूबी जैन सुपर फार्मा संजय बालमुकुंद आदिश जैन भवानीमंडी यतीन मोदी संजय बड़जात्या विकास सेठी को प्राप्त हुआ
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मन की खोट और विकारों को हटाना ही आकिंचन धर्म होता है मुनि मार्दव सागर जी महाराज
उज्जैन।। मुनि मार्दव सागर जी महाराज जी के अनुसार जो एकांकी मार्ग इस प्रकार के भाव को धारण करता है, वह परिग्रह से रहित निष्परिग्रही दिगम्बरत्व से सम्पन्न हो जाता है. जैन साधु इस भाव के कारण ही लंगोट तक का परिग्रह छोड़ दिगम्बर हो जाते हैं, क्योंकि अकिचन भाव में जरा सी लंगोट भी बाधा पहुंचाती है. कहा भी है- एक लंगोट की ओट मन में अनन्त खोट पैदा कर देती है. अतः मन की खोट को मिटाने के लिये तन की लंगोट हटाकर मन के विकारों का परित्याग कर दिगम्बर होना जरूरी है. नग्नता विकारों के त्याग से प्रगट होती है, इसलिये पूज्य है, पवित्र है.
रात्री में सांस्कृतिक कार्यक्रमों से श्री शांतिनाथ दि जैन बोर्डिंग मंदिरजी में  विराग भक्ती महिला मंडल प्रथम बार ’आपकी अदालत’ का बेहतरीन कार्यक्रम आयोजित किया गया
’स्नेहलता सोगानी मेहमान के रूप में, जज के रुप में, फुल कुंवर टोंग्या,  वकील के रुप में शैलेंद्र सुरजमल सभी ने सोंपे गये भिन्न भिन्न पात्रों का दायित्व बखुबी निभाया। आप की अदालत के तर्ज पर सवाल जवाब पूछे गए इसमें विशेष रूप से ट्रस्ट के अध्यक्ष  इंदर चंद जी जैन महेंद्र लुहाडिया हीरालाल बिलाला नरेंद्र बिलाला आदि कई लोग मौजूद थे
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आज निर्वाण लाडू और कल होगा सामूहिक क्षमावाणी पर्व
दिगंबर जैन समाज के 10 दिनी पर्यूषण पर्व का 12 सितंबर गुरुवार को अनंत चतुर्दशी पर्व पर समापन होगा। इस अवसर पर जैन मंदिरों में समाजजनों ने वासुपूज्य भगवान को निर्वाण लाडू चढ़ाए जाएंगे  एवं दोपहर को फ्रीगंज, लक्ष्मीनगर, नमकमंडी, नयापुरा व क्षीरसागर आदि मंदिरों से श्रीजी के चलसमारोह निकाले जाएंगे। सभी मंदिरों में कलशाभिषेक भी किए जाएंगे। पर्यूषण के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य व्रत धर्म व दस लक्षण धर्म की पूजा की जाएगी।
इंदौररोड स्थित श्री महावीर तपोभूमि, इंदिरानगर बोर्डिंग, जयसिंहपुरा, भैरवगढ़, ऋषिनगर आदि दिगंबर जैन मंदिरों में भी धार्मिक कार्यक्रमों के साथ वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लाडू भी चढ़ाए जाएंगे एवं श्रावक संस्कार शिविर के सभी लोगों का सम्मान एवं बहू मान होगा
तपोभूमि पर कल क्षमावाणी
पर्यूषण के समापन के बाद कल शुक्रवार 13 सितंबर  को सुबह 9 बजे तपोभूमि से श्रीजी का चलसमारोह निकलेगा। ट्रस्ट के सह सचिव डॉ सचिन कासलीवाल ने बताया अभिषेक, शांति धारा के बाद ब्रह्मचारिणी डॉ. प्रभा दीदी, दीदी व प्रतिष्ठाचार्य पं. श्रियश जैन के प्रवचन, उपवास करने वालों का सम्मान किया जाएगा। तत्पश्चात सामूहिक क्षमावाणी की जाएगी तत्पश्चात संपूर्ण समाज का वात्सल्य भोज होगा
तपोभूमि ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला अध्यक्ष कमल मोदी सचिव दिनेश जैन सुपर फार्मा कोषाध्यक्ष इंदर मल जैन उपाध्यक्ष विमल जैन धर्म चंद पाटनी सहकोषाध्यक्ष अतुल सोगानी आदि सभी ट्रस्टीयो ने निवेदन किया है कि सभी कार्यक्रम में अधिक से अधिक धर्मावलंबी भाग लेवें।

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