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पर्यूषण पर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म



शास्त्र भेंट कर मनाया श्री महावीर तपोभूमि में त्याग महोत्सव
उज्जैन। श्री महावीर तपोभूमि में श्रावक संस्कार शिविर में उत्तम त्याग धर्म की पूजा हुई साथ ही सभी ने प्रभा दीदी को शास्त्र भेंट कर त्याग महोत्सव मनाया प्रभा दीदी ने प्रवचन के माध्यम से त्याग धर्म  के लिए कहा है कि मनुष्य को भारी चीजों का त्याग करना चाहिए और हल्की चीजें ग्रहण करना चाहिए जैसे ही भारीपन दूर होगा तो आप स्वयं हल्के हो जाएंगे और भगवान की भक्ति में मन लगने लगेगा त्याग और दान में अंतर होता है त्याग अंतर की आत्मा से की गई वैभव सांसारिक एवं खोटी चीजों का होता है तो दान वस्तुओं का होता है आपने कभी नहीं सुना होगा कि मैंने अपने बच्चे दान में कर दिए या मैंने अपनी पत्नी को दान कर दिया या मैंने अपने परिवार को दान कर दिया दान हमेशा वस्तुओं का होता है एवं त्याग अंतर्मन की गहराइयों से किया गया धर्म के माइनों पर खरा उतरता है दान चार प्रकार का होता है औषधी,शास्त्र,अभय और आहार यह चार त्यागो को ही उत्तम त्याग माना गया है औषधि का त्याग जीवन रक्षा के लिए होता है शास्त्र का त्याग पठन-पाठन करने वालों को दिया जाता है अभय दान वीरों का दान होता है एवं आहार साधु संतों को दिया जाता है यह महत्वपूर्ण दान आपको इस भाव से अगले भाव सुधार देंगे।
ट्रस्ट के सह सचिव डॉ सचिन कासलीवाल ने बताया कि शाम को बड़ा प्रतिक्रमण हुआ जिसमें समाज के कई लोग सम्मिलित हुए लगभग डेढ़ घंटे के प्रतिक्रमण में 1 घंटे तक ध्यान के माध्यम से अपने से हुई जाने अनजाने में गलतियां की क्षमा मांगते हुए एवं सभी को क्षमा भी किया गया एवं ध्यान के माध्यम से कृतिम अकृतिम जिनालय चैत्यालय को नमन किया गया।
शिविर में विराजमान चैत्यालय 1008 नेमिनाथ भगवान की शांति धारा करने का सौभाग्य धनीबाई शांतिलाल जैन अशोक जैन चाय वाला परिवार प्रथम कलर्स करने का सौभाग्य महिला मंडल पिड़ावा एवं सुगंधित कलश करने का सौभाग्य रेखा राजेन्द्र लुहाड़िया को प्राप्त हुआ श्री 1008 रत्न मंदिर की शांति धारा करने का सौभाग्य श्रेयस जैन पिंडरई सुनील जैन ट्रांसपोर्ट पवन बोहरा दिनेश सुपर फार्मा संजय बालमुकुंद राजेंद्र लुहाड़िया पीयूष जैन श्रेयांश जैन पराग शाहअमेरिका सुगंधित कलश,मंजु जिनेश बड़जात्या इंदौर को प्राप्त हुआ।
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उत्तम त्याग धर्म- पर्युषण पर्व का सानंद 8 वां दिवस
उज्जैन। जैन बोर्डिंग में मार्दवसागर एवं भद्र सागर मुनिद्वय वर्षा योग के मंगल आगमन के साथ विराजमान है। पर्युषण पर्व के अवसर पर दसलक्षण धर्म पर अपने उद्भोधन में सार गहराई से समझा रहे है।
 10 सितंबर को उत्तम धर्म के प्रसंग पर कहा कि त्याग मतलब किसी चीज को छोडना या देना इसकी नियमित का सुचक है। जिस दान में किसी प्रकार की मान बढाई आशा या बदला पाने की इच्छा न की गई हो उसे ही उत्तम दान कहते है।  शास्त्रों में  4 प्रकार के दान बतायें हैं- ज्ञान दान, आहार दान  औषधदान,  एवं अभय दान। औषधि शास्त्र, अभय और आहार इन चार दानों के सिवाय यदि आवश्यक हैं तो मकान, रुपया, वस्त्र, वाहनादी भी दिये जा सकते है। धर्मशाला, पाठशाला, औषधालय, चैत्यालय आदि  सर्व साधारण  के लिये, उपकार के लिये बनवाना भी दान ही रै।  अपने रुपयों से अनाथालय, छात्रावास, पुस्तकालयो खोलना भी दान की श्रेणी में आता हैं। 
शुभ भावों से सुपात्र  को उसकी योग्यतानुसार दिया हुवा दान खुब पुण्यशाली होता हैं। वास्तव में दान  देने से जो वस्तु दान कर दी जाती हैं, अपना मोह छुटता हौं। दुसरे शब्दों में  परिग्रह कम होता हैं। 
दुखी व्यक्ती भुखे अपंग निःसहाय वृध्द स्त्री को भी दान करुणा भाव से दिया जाता हैं। भुखे को भोजन देना ही दान में आता हैं। बिजली पानी का अपव्यय  नहीं करना  भी दान की श्रेणी में आता हैं। गौ वंश की रक्षा करने में दिया गया दान -अभय दान में आता हैं। बाढ  पीडित लोगों को दिया गया  दान- अभय दान  में  आता हैं,  आहार दान में आता है, वस्त्र दान में आता है।
   त्याग धर्म की महिमा इतनी है कि आप जो भी त्याग करते है, उसका पुण्य अवश्य मिलता है। प्रकृति भी त्याग करती हैं।  हमारी जैसी शक्ती हो वैसी ही भक्ती होना चाहिये।  कम खाना, गम खाना, व नम जाना, त्याग वृत्ती है।  समाज में महिलाओं में आज त्याग की जगह फैशन ने ली हैं।  साडी एवं कपडों से उनकी आलमारियां भरी रहती है।  मुनि चंद्रगुप्त ने 12  वर्ष तक तपस्या जपने अन्दर के राग द्वेश के विकार भस्मसात करने का त्याग हैं। बाह्य   चीजों में राग नहीं रखना ओर चीजों .की लिमिट  बांधकर  शेष में  त्यागना भी उत्तम त्याग धर्म हैं।
बुधवार को उत्तम आकिंचन धर्म की पूजा होगी

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