top header advertisement
Home - धर्म << अटको नहीं मटको नहीं भटको नहीं सिर्फ तप करो -मुनि माधव सागर जी महाराज

अटको नहीं मटको नहीं भटको नहीं सिर्फ तप करो -मुनि माधव सागर जी महाराज


पर्युषण पर्व - उत्तम तप धर्म,  निरंतर सात दिवस आराधना-

जब जागो तब सवेरा है -प्रभा दीदी
उज्जैन। श्री महावीर तपोभूमि में श्रावक संस्कार शिविर के अंतर्गत जबलपुर से आई प्रभा दीदी ने तप धर्म को समझाते हुए कहा कि जब जागो तभी सवेरा है बचपन से पचपन तक तप करते अपना जीवन सार्थक बनाना चाहिए ऐसा ना हो कि आप बचपन में तो कह दे कि बच्चा हूं बड़ा होकर करूंगा और जब बचपन के बाद आपकी उम्र पकने लगे और आप धर्म नहीं कर पाए तो कहने लगे कि जवानी और बचपन में धर्म करना चाहिए मैं कहती हूं बचपन से पचपन तक धर्म करते रहो तो आपको कभी समस्या नहीं आएगी रामायण की कई महत्वपूर्ण पंक्तियां सुनाते हुए प्रभा दीदी ने कहा कि श्री राम ने 14 वर्ष जंगल में तप किया तो लक्ष्मण ने और उनकी पत्नी एवं भरत में भी तप किया है वह भी तप की श्रेणी में ही आता है।
और प्रभा दीदी ने कहा तप की परिभाषा आप यह नहीं समझ लेना कि चैके में भट्टी के समक्ष तपने को तक कहते हैं ऑफिस में व्यापार में काम करने को तप कहते हैं
तप होता है धर्म में तपने के लिए अपने मनुष्य जन्म को सार्थक बनाने के लिए तप करो तप करना तो स्वर्ग के देवी देवता सुर राज एवं इंद्रराज भी चाहते हैं लेकिन तप करने का सौभाग्य सिर्फ और सिर्फ मानव को प्राप्त है इसलिए इस जीवन को सार्थक करना है तो सभी को तप करना चाहिए अपने आपको तप में पकाना चाहिए।
ट्रस्ट के सह सचिव डॉ सचिन कासलीवाल ने बताया कि श्री महावीर तपोभूमि में प्रज्ञा बाल मंच के छोटे-छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति में भजन प्रतियोगिता व कथा कुंभ का भी आयोजन किया गया। शिविर में विराजमान चैत्यालय श्री 1008 चंद्र भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य इंदर मल लता जैन प्रथम कलर्स अर्पित इंदर मल जैन मोती रानी वीरसेन जैन जयस विणा जैन को प्राप्त हुए। एस पी जैन भोपाल विकास सेठी मंजुला दिनेश जैन बड़जात्या इंदौर धीरेन्द्र सेठी रमेश एकता संजय बड़जात्या एवं विशेष सहयोग के रूप में अध्यक्ष कमल मोदी सचिव दिनेश जैन उपाध्यक्ष विमल जैन धर्म चंद  पाटनी अतुल सोगानी राजेंद्र लुहाडिया संजय जैन पुष्पराज जैन आदि थे संगीतमय भक्ति अंजू गंगवाल सोनिया जैन चंदा बिलाला ने कराई संपूर्ण पूजा श्रीयश जैन ने कराई।
-----
निरंतर तप में लीन रहना चाहिए मनुष्य को -मार्दव सागर जी महाराज
उज्जैन। मुनिश्री मार्दव सागरजी महाराज जैन बोर्डिंग में पर्युषण पर्व दसलक्षण धर्म पर प्रवचन मैं कहा कि हमें आध्यात्मिकता की गहराई से ज्ञान प्राप्त हो रहा हैं।  महाराज ने उत्तम तप धर्म के अपने संबोधन में कहा कि अटकों नहीं, भटको नहीं, मटकों नहीं, यदि यह सब चीजें नहीं छोडी तो जिंदगी जीवन का उद्येश्य समाप्त हो जावेगा। बढते चलों, जीवन का उद्येश्य होना चाहिये। उक्त शब्द पूज्य मुनि श्री मार्दवसागरजी ने उत्तम तप धर्म पर अपने प्रेरणा दायी उद्भोधन में कहें।
    उन्होंने कहाकि साधु को भोजन की चिंता नहीं, भजन की चिंता रहती हैं। आज हम मंदिर  में  आकर भी भगवान से व्यापार की बात करते हैं।
    क्रोधी व्यक्ति का तप  कोई काम का नहीं हैं।  मायाचारी का तप खोटी गति  को प्राप्त करता हैं।  ख्याती  लाभ के लिये किया गया तप सहीं नहीं हैं। उसमें अधुरापन है। मनुष्य जीवन इच्छाओं में का भंडार है, आंकांक्षाओं का घर हैं। लोभ लालच, आशा, सम्मान की इच्छाओं से किया गया तप फलदायी नही रहता हैं।
    मुनिश्री ने कहा कि तप की सीधी परिभाषा इच्छा निरोधी तप
   सम्राट चन्द्रगुप्त ने उज्जैन में आकर तप किया।  गुरु की सेवा में लीन पहें। आपने श्रवणबेलगोला में चंद्रगिरी पहाडी पर 12 वर्षो तक तपश्चरण किया।
   आज दांत गिर गए, आंत गिरने वाली हैं,  आंख से दिखना कम हो गया हैं। फिर भी शरीर से मोह नहीं छुंटता हैं। निरंतर  शरीर की तिमारदारी में लगा रहता हौं।  जब व्यक्ती के मन से क्रोध मन माया, एवं लोभ छुटता है, तब ही तप करने की इच्छा और बल वैसे ही होता है
    तप एवं तपस्वी दोनो मंगलकारक हैं।  निर्ग्रंथ मुनिके दर्शन से सब कार्य सिध्दी होते  है। उत्तम तप  का फल  केवल ज्ञान होता हैं।
    दीप प्रज्वलन महावीर बडजात्या, पाटोदीजी,श्री फल एवं शास्त्र भेंट  नरेंद्र बिलाला इंदरमलजी जैन हीरालाल बिलाला ललित जैन आदि ने किया।
मंगलवार को उत्तम त्याग धर्म की पूजा होगी

Leave a reply