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मनुष्य निर्माण पूर्व मे गुरुकुल के ऋषि आचार्य करते थे, वर्तमान मे यह दायित्व समाज में शिक्षकों के पास



उज्जैन। उत्तम चिकित्सक, इंजीनीयर, वकील, न्यायाधीश बनने के पहले व्यक्ति एक अच्छा मनुष्य बने। इसके लिये शास्त्रो मे मनुर्भव का संदेश दिया है। मनुष्य निर्माण पूर्व मे गुरुकुल के ऋषि आचार्य करते थे एवं वर्तमान मे यह दायित्व समाज मे शिक्षकों के पास है इसलिए शिक्षक समाज की धरोहर है इनका सम्मान राष्ट्र का सम्मान है। 
ये उदगार आर्य समाज मन्दिर में शिक्षक सम्मान समारोह के अवसर पर प्रधान प्रोफेसर डाॅ. मणीन्द्र व्यास ने व्यक्त किये। इसके साथ ही शिक्षा विद गोपालसिंह सिकरवार, निशा तनेजा, नंदिकशोर टाण्डी, ओमदत्त आर्य, सविता बत्रा का पीत उपवस्त्र से अभिनन्दन किया गया। प्रारंभ मे धर्माचार्य ओम दत्त शास्त्री ने विशेष वेद मन्त्रों से देव यज्य सम्पन्न कराया एवं बताया कि उज्जैन आर्य समाज 113 वर्ष पुरानी संस्था है यहां दोनों समय यज्ञ हो रहा है। आर्य प्रवक्ता सुखदेव व्यास ने कहा कि आज समाज मे विद्यालय से अधिक गुरुकुलों की आवश्यकता है। आज समाज वर्णाश्रम व्यवस्था से दूर हो गया है जिसे पुनः अपनाने की जरूरत है। इस अवसर पर देसाई नगर शा. विद्यालय की प्रधानाचार्या सविता बत्रा ने शिक्षा की मूल धारा से वंचित विशेषकर बालिका शिक्षा के महत्व को बताते हुए अधिकाधिक कन्या गुरुकुल निर्माण की बात कही। ईश प्रार्थना का वाचन डाॅ. मालाकार ने किया। भजनों की प्रस्तुति प्रेम सिंह वर्मा ने दी। संचालन मंत्री संजय सोनी ने किया व आभार नवनीत सिकरवार ने व्यक्त किया। सामुहिक शान्ति पाठ, जयघोष व प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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