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कविताओं के माध्यम से दिखाया समाज को आईना, महकी देशप्रेम की पंक्तियां



पुस्तक मेले में हुआ कविता पाठ- वर्किंग दिन होते हुए भी पाठकों का हजूम पुस्तकों को देखने, अपनी पसंद के रचनाकारों से मिलने को उमड़ा
उज्जैन। कालिदास अकादमी में आयोजित पुस्तक मेले में मंगलवार को कविता पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें पाठकों के बीच कवियों ने कविताओं के माध्यम से समाज को आईना दिखाया तथा देशप्रेम की पंक्तियों से वातावरण महकाया। कवि के रूप में नीलोत्पल, राजेश सक्सेना, डॉ. देवेंद्र जोशी, डॉ संदीप नाडकर्णी, डॉ राजेश रावल ने कविता पाठ किया। कविता के सत्र का संचालन प्रसिद्ध रचनाकार श्रीराम दवे ने किया। 
नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के संपादक व कार्यक्रम प्रभारी डॉ ललित किशोर मंडोरा ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत में राजेश रावल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। देवेंद्र जोशी ने अपनी रचना में ओज का वर्णन किया तो उपस्थित श्रोताओं मन्त्र मुग्ध हुए बिना न रह सकें। देवेंद्र जोशी ने अपनी रचनाओं में हास्य-व्यंग्य की भी कई बानगियाँ प्रस्तुत की। गाँधी जी की 150वी वर्षगांठ को केंद्र में रख कर चिट्ठी सुनाई जो अनेक प्रसंगों को जीवित कर गई। ‘चूंकि मैं भारत में रहता हूँ इसलिए सच कहता हूँ’ जैसे ही उन्होंने अपने उद्गार में कहा तो श्रोताओं के दिलों में देश प्रेम जगमगा उठा। डॉ. संदीप नाडकर्णी ने अपनी रचना में कहा ‘मैं भी लिख सकता हूँ कविता, मौसम की और मौसिकी की जिंदगी को।’ संदीप नाडकर्णी की कविताओं में प्रेम, व्यवस्था के प्रति आक्रोश और जनमानस की अभिव्यक्ति लगीं। नाडकर्णी की रचनाओं में भारतीयता नजर आई जिसमें उन्हें अपनापन सा नजर आया। युवा कवि नीलोत्पल ने कहा ‘मैं आरम्भ और अंत के बीच सुनता हूँ, अपनी बात सुनाता हूँ, अपनों के बीच में अपने को पाता हूँ।’ उन्होंने कहा कि प्रेम की तलाश करता हूँ जैसे बादल बरसने को लालायित रहते है। राजेश सक्सेना ने अपनी बात रखते हुए कहा ‘हर किसी को नहीं आती, धन जोड़ने की कला हक्के बक्के रह जाते है जब फुटपाथ पर भिखारियों से मिलते है’ जोड़ा हुआ संचित पैसा!’ श्रीराम दवे ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को विस्मित कर दिया।  इस अवसर पर शहर के जाने-माने साहित्यकारों में वरिष्ठ कवि प्रमोद त्रिवेदी, मुकेश जोशी, पिलकेन्द्र अरोड़ा, अशोक भाटी, कवि आनंद, डॉ वंदना गुप्ता मौजूद रहे। साथ ही समाजसेवी प्रकाश चित्तोड़ा, विक्रम विश्विद्यालय के हिंदी प्रमुख डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, डॉ पुष्पा चैरसिया, डॉ शिव चैरसिया भी विशेष रूप से उपस्थित थे। 
डॉ ललित किशोर मंडोरा ने कहा कि सूर्यनारायण व्यास, शिवमंगल सिंह सुमन, चंद्रकांत देवताले की नगरी उज्जैन पुस्तक मेला अपने कार्यक्रमों के जरिये स्थानीय पाठकों में लोकप्रिय बनता हुआ साफ नजर आ रहा है। यही वजह है कि वर्किंग दिन होते हुए भी पाठकों का हजूम पुस्तकों को देखने, अपनी पसंद के रचनाकारों से मिलने को उमड़ रहा है। मंडोरा के अनुसार न्यास अपने कार्यक्रमों में स्थानीय रचनाकारों को जहां आमन्त्रित कर रहा है वहीं राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान भी कर रहा है कि आगामी दिनों में उन रचनाकारों को अन्यत्र किसी प्रदेश के पाठकों से परिचय करवाया जा सकें। हर पुस्तकमेले की शक्ति होती है वहाँ आयोजित साहित्यिक कार्यक्रमों से। इसलिए न्यास स्थानीय रचनाकारों को ज्यादा से ज्यादा अपने साथ जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

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