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जिससे भी हो अनबन सबसे पहले उनसे मांगे क्षमा, यही है पर्यूषण की सच्ची आराधना



उज्जैन। हमारी किसी भी बात व्यापार कार्य व्यवहार को लेकर यदि किसी से अनबन है तो हमें दिल बड़ा रखकर सबसे पहले उसी से क्षमा याचना करनी चाहिए। पर्यूषण पर्व का वास्तविक कर्तव्य यही है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो वह मिथ्यातत्व कहलाएगा। जो क्षमा मांगते हैं वह आराधक कहलाते हैं और जो नहीं मांगे व विराधक। शास्त्र हमें यही सिखाता है। क्योंकि क्षमा विरस्य भूषणम् है यानी यह वीरों का आभूषण है।
यह उद्गार श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी मंदिर खाराकुआं पर साध्वी हेमेंद्र श्रीजी मसा की शिष्या साध्वी चारुदर्शा श्रीजी मसा ने पर्यूषण के तीसरे दिन बुधवार को व्यक्त किये। उन्होंने शास्त्र में निहित क्षमा के गुण व तीर्थंकर परमात्माओं द्वारा किस तरह इस पथ पर चलकर स्वयं का आत्म कल्याण किया उसके बारे में समझाया। साध्वीश्री ने कहा कि आपका किसी से भी बेर, द्वेष या शत्रुता है तो आप संवत्सरी दिवस के दिन उनसे क्षमा याचना करें। इसी से आपके पर्व की सार्थकता साबित होगी। प्रभु ने शास्त्रों में यही बताया है। प्रवचन दौरान कल्पसूत्र शास्त्र भेंट करने की बोली लगी। जिसका लाभ साध्वीश्री के सांसारिक भ्राता नरेंद्र कुमार महेंद्र कुमार तरसिंग परिवार ने लिया।
पेढ़ी ट्रस्ट सचिव जयंतीलाल जैन तेलवाला के अनुसार गुरुवार को लाभार्थी परिवार द्वारा कल्पसूत्र शास्त्र भेंट किया जाएगा। साथ ही इसका वाचन भी शुरू होगा। वर्ष भर में केवल पर्यूषण पर ही इस शास्त्र का वाचन समाजजनों के बीच साधु साध्वी द्वारा किया जाता है। प्रवचन सभा दौरान धार्मिक पाठशाला की वार्षिक प्रगति का विवरण गौतम चंद धींग ने प्रस्तुत किया। बच्चों को धर्म संस्कार व शास्त्र पढ़ाने वाले अहमदाबाद से आए गुरुजी सुभाष भाई की समाजजनों ने अनुमोदना भी की। बता दें कि शुक्रवार को शहर के सभी श्वेतांबर जैन मंदिरों में प्रभु का जन्म वाचन समारोह मनाया जाएगा।

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