गणेश चतुर्थी व्रत : इन 12 नाम मंत्रों से करें श्री गणेश की पूजा
सोमवार, 19 सितंबर को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। इस तिथि को गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार सोमवार को ये चतुर्थी होने से इस दिन गणेशजी के साथ ही शिवजी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। गणेशजी चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं। मान्यता है कि इस दिन गणेशजी के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करने से सुख-समृद्धि, ज्ञान और बुद्धि बढ़ती है। उज्जैन के इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. सुनील नागर के अनुसार जानिए गणेश चतुर्थी व्रत पर भगवान की पूजा कैसे कर सकते हैं...
गणेश चतुर्थी पर स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा स्थापित करें। सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं।
श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। गणेशजी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
चतुर्थी पर गणेशजी के सामने दीपक जलाएं। पूजा करें। इसके बाद उनके 12 नाम मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें। ये 12 नाम मंत्र हैं - ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।
पूजा पूरी होने के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें और गणेशजी से दुख दूर करने की प्रार्थना करें।