राखी पर नहीं होगी भद्रा की नजर, इस शुभ मुहूर्त में बंधेगे रक्षासूत्र
भाई-बहन के अटूट प्यार का त्योहार रक्षाबंधन इस बार 15 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई अपनी प्यारी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है। बता दें कि, इस बार रक्षाबंधन गुरुवार के दिन पड़ रहा है। राखी का त्योहार गुरुवार के दिन आने से इसका महत्व काफी बड़ गया है। ज्योतिष के अनुसार यह दिन गुरु बृहस्पति को समर्पित रहता है। पौराणिक मान्याता के अनुसार गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को दानवों पर विजय प्राप्ति के लिए इंद्र की पत्नी से रक्षासूत्र बांधने को कहा था। रक्षासूत्र बंधवाने के बाद देवता इंद्र ने विजय प्राप्ति की थी।
ज्योतिषों के अनुसार इस बार रक्षा बंधन को भद्रा की नजर नहीं लगेगी। इतना ही नहीं इस बार श्रावण पूर्णिमा भी ग्रहण से मुक्त रहेगी। भद्रा और ग्रहण से मुक्त होने की वजह से यह पर्व शुभ संयोग वाला और सौभाग्यशाली रहेगा। शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा और ग्रहण निकल जाने के बाद ही मनाना चाहिए। ऐसा करने से भाई और बहन के सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है।
शास्त्रों के अनुसार भद्रा के वक्त राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, क्योंकि भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनिदेव की तरह उनका स्वभाव भी क्रूर और क्रोधी है, इसलिए भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। उग्र स्वभाव के कारण ब्रह्माजी ने भद्रा को पंचांग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। पंचांग में इनका नाम विष्टी करण रखा गया है। इस दिन शुभ कार्यों को करना निषेध माना गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था, जिसके बाद रावण का सर्वनाश हुआ था। लेकिन, इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं रहेगा। इसलिए बहनें सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच किसी भी समय अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।
राखी पर नहीं पड़ेगा भद्रा और ग्रहण का साया, इस शुभ मुहूर्त में भाई को बांधे रक्षासूत्र
भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, क्योंकि भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है।
भाई-बहन के अटूट प्यार का त्योहार रक्षाबंधन इस बार 15 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई अपनी प्यारी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है। बता दें कि, इस बार रक्षाबंधन गुरुवार के दिन पड़ रहा है। राखी का त्योहार गुरुवार के दिन आने से इसका महत्व काफी बड़ गया है। ज्योतिष के अनुसार यह दिन गुरु बृहस्पति को समर्पित रहता है। पौराणिक मान्याता के अनुसार गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को दानवों पर विजय प्राप्ति के लिए इंद्र की पत्नी से रक्षासूत्र बांधने को कहा था। रक्षासूत्र बंधवाने के बाद देवता इंद्र ने विजय प्राप्ति की थी।
ज्योतिषों के अनुसार इस बार रक्षा बंधन को भद्रा की नजर नहीं लगेगी। इतना ही नहीं इस बार श्रावण पूर्णिमा भी ग्रहण से मुक्त रहेगी। भद्रा और ग्रहण से मुक्त होने की वजह से यह पर्व शुभ संयोग वाला और सौभाग्यशाली रहेगा। शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा और ग्रहण निकल जाने के बाद ही मनाना चाहिए। ऐसा करने से भाई और बहन के सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है।
शास्त्रों के अनुसार भद्रा के वक्त राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, क्योंकि भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनिदेव की तरह उनका स्वभाव भी क्रूर और क्रोधी है, इसलिए भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। उग्र स्वभाव के कारण ब्रह्माजी ने भद्रा को पंचांग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। पंचांग में इनका नाम विष्टी करण रखा गया है। इस दिन शुभ कार्यों को करना निषेध माना गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था, जिसके बाद रावण का सर्वनाश हुआ था। लेकिन, इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं रहेगा। इसलिए बहनें सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच किसी भी समय अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।
शुभ महूर्त-
रक्षा बंधन तिथि - 15 अगस्त 2019, गुरुवार
पूर्णिमा तिथि आरंभ 14 अगस्त -15:45
पूर्णिमा तिथि समाप्त 15 अगस्त- 17:58