नागपंचमी : हिन्दू धर्म में मुख्यत: इन पांच नागों की होती है पूजा
सावन के मौसम के साथ त्योहार का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस साल 5 अगस्त को नागपंचमी है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस बार शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी 5 अगस्त सोमवार को है और इसी दिन सावन का तीसरा सोमवार भी है। 125 सालों बाद तीसरे सोमवार के दिन नागपंचमी पड़ रही है। नागपंचमी पर नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। नागपंचमी पर आमतौर पर पांच पौराणिक नागों की पूजा की जाती है जो क्रमश: शेषनाग, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक व पिंगल हैं।
शेषनाग : शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक हैं और शेष नाग की शय्या पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। मान्यता है कि शेषनाग के हजार मस्तक हैं और इनका कही अंत नहीं है, इसीलिए इन्हें 'अनंत' भी कहा जाता है। यह कश्यप ऋषि की पत्नीं कद्रू के पुत्रों में सबसे पराक्रमी और प्रथम नागराज थे। कश्मीर के अनंतनाग जिला इनका गढ़ था। यह सदा पाताल में ही रहते थे और इनकी एक कला क्षीरसागर में भी है जिसपर विष्णु भगवान शयन करते हैं। अपनी तपस्या द्वारा इन्होंने ब्रह्मा से संपूर्ण पृथ्वी धारण करने का वरदान प्राप्त किया था। लक्ष्मण जी शेषनाग के ही अवतार माने जाते हैं। मान्यता है कि शेषनाग श्री कृष्ण के दाऊ अर्थात् बलराम के भी अवतार है।
वासुकि : वासुकि नाग शेषनाग के भाई थे जो कि भगवान शिव के सेवक थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वासुकी ने भगवान शिव की सेवा में नियुक्त होना स्वीकार किया। कहते हैं कि तभी से भगवान शिव ने नागों के राजा वासुकी को अपने गले का हार बनाया। समुद्र मंथन के दौरान देव और दानवों ने मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकी को ही रस्सी बनाया था। त्रिपुरदाह के समय वह शिव के धनुष की डोर बने थे। माना जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण को कंस की जेल से चुपचाप वसुदेव उन्हें गोकुल ले जा रहे थे तब रास्ते में जोरदार बारिश हो रही थी। यमुना नदी के उफान से वासुकी नाग ने ही श्रीकृष्ण की रक्षा की थी।
तक्षक: पाताल में निवास करने वाले आठ नागों में से एक है। माना जाता है कि तक्षक का राज तक्षशिला में था। यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुआ था तथा पिता कश्यप ऋषि थे। तक्षक 'कोशवश' वर्ग का था। यह काद्रवेय नाग है। पुराणों के अनुसार तक्षक नाग के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हुई थी। उस मृत्यु का बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था।
कर्कोटक: कर्कोटक नागों का एक राजा था। वह शिव का एक गण था जिसने इन्द्र के अनुरोध पर डसा था। इस दंश के कारण नल ऐंठनयुक्त तथा कुरूप हो गए। कर्कोटक ने नारद को धोखा दिया था जिससे क्रोधित होकर नारद ने उसे शाप दिया जिससे वह एक कदम भी नहीं चल पाता था। कर्कोटक, नल का मित्र था।
पिंगल: हिंदू व बौद्ध साहित्य में पिंगल नाग को कलिंग में छिपे खजाने का संरक्षक माना गया है।