इस तरह हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरूआत
कावंड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार (Sarvan Kumar) ने की थी लेकिन इसके पीछे भी एक पौराणक कथा मौजूद है।
किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत (Kisne Ki Kanwar Yatra ki Suruat) सावन के महिने में कांवड़ यात्रा को विशेष महत्व दिया जाता है। लोग कांवड़ लेकर दूर -दूर तक नंगे पैरों जाते हैं और पवित्र नदियों से जल लेकर आते हैं। माना जाता है कि सावन में कांवड़ में गंगा जल भरकर लाने और भगवान शिव का उस जल से अभिषेक करने पर मनुष्य की सभी इच्छा पूर्ण होती है। सावन के इस पवित्र महिने की पहली कावंड़ यात्रा श्रवण कुमार ने की थी। श्रवण कुमार अपने माता - पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थ स्थानों के दर्शन कराने लेकर गए थे।
श्रवण कुमार ऊना से हरिद्वार पैदल अपने माता -पिता को लेकर यात्रा पर निकले थे। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रवण कुमार के माता - पिता ने गंगा स्नान की इच्छा जताई। श्रवण कुमार के माता - पिता देख नहीं सकते थे। श्रवण कुमार ने अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करते हुए दोनों को अपने कंधों पर बैठाकर हरिद्वार की और निकल पड़े। जिसके बाद उन्होंने अपने माता - पिता को गंगा स्नान कराया और मां गंगा के दर्शन कराए। इसके बाद श्रवण कुमार गंगा जल भी साथ लेकर आए। तब ही से कांवड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है।