श्रावण मास प्रारंभ / पूरे तीस दिन का होगा होगा सावन, बन रहे शुभ संयोग
इस बार सावन माह तिथियों की घटबढ़ रहेगी। यानी एक तिथि दो दिन तक मनाई जाएगी और एक तिथि का क्षय रहेगा। तिथियों के कम-ज्यादा होने के बावजूद भी इस बार सावन का महीना पूरे 30 दिन का ही रहेगा। 17 जुलाई से सावन माह की शुरुआत हो रही है और 15 अगस्त के दिन रक्षाबंधन पर इसका समापन होगा। इस साल सावन माह के चारों सोमवार पर विशेष योग बन रहा है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि की वृद्धि है। द्वितीया तिथि 18-19 जुलाई को मनेगी। वहीं श्रावण शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि का क्षय है। इस प्रकार घट-बढ़ से सावन पूरे 30 दिन का होगा।
सावन का हर सोमवार रहेगा खास
सावन माह में सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार शिव का प्रिय दिन है। सावन में कुल चार सोमवार आ रहे है, जो 22 जुलाई, 29 जुलाई, 5 अगस्त और 12 अगस्त को हैं।
22 जुलाई को सावन सोमवार के साथ मरुस्थली नाग पंचमी है।
29 जुलाई को सावन सोमवार को सोमप्रदोष और स्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा है।
5 अगस्त को देशाचारी नागपंचमी और सावन सोमवार है, जबकि 12 अगस्त को सोमप्रदोष और सावन सोमवार का योग बना है।
इनके अलावा जुलाई में 20 तारीख को श्रावणी चतुर्थी और रविपुष्य का सिद्धिदायक योग बन रहा है। इसी महीने 28 जुलाई को कामदा एकादशी है और 30 जुलाई को महाशिवरात्रि का पर्व है।
सावन की शुरुअात के साथ सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश भी
इस बार 19 साल बाद ऐसा संयाेग बन रहा है कि सूर्य संक्रांति के साथ ही सावन की शुरुआत हो रही है। सावन मास का अारंभ हाेगा। कर्क राशि में सूर्य का प्रवेश हाेने के साथ ही सावन की शुरुआत भी शुभ मानी जा रही है। सावन की शुरुआत में सूर्य राशि बदलकर अपने मित्र ग्रह मंगल के साथ आ जाएगा। वहीं मकर राशि के चंद्रमा का मंगल के साथ दृष्टि संबंध होने से महालक्ष्मी योग भी बनेगा। ग्रहों की इस शुभ स्थिति के कारण सावन का महत्व और भी बढ़ जाएगा।
श्रावण माह का पौराणिक महत्व
पं मिश्रा के अनुसार जिसको सब चाहते हैं उसे शिव कहा जाता है। भोलेनाथ ने राजा दक्ष को वरदान दिया था कि सावन महीने में वह कैलाश पर्वत से उतर कर दुनिया के हर शिवलिंग में वास करेंगे। इस दौरान कोई भी श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाएगा तो वह गंगाजल बनकर स्वयं शिव को प्राप्त होगा। इसलिए भगवान शिव को जल धारा प्रिय है। इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने से श्रद्धालुओं को दैविक, दैहिक व भौतिक दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है।
क्या करें सावन में
सावन मास में भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने का विशेष महत्व है। वहीं शिवलिंग पर बिल्व पत्र, केसर युक्त चंदन, सूखे मेवे का भोग, आकड़े के फूल व धतूरा चढ़ाने से शिव कृपा प्राप्त होती है। कलयुग में शिव ही ऐसे देवता है जो चारों पुरुषार्थ की प्राप्त करवाते है। पूरे सावन माह में भोले की भक्ति संभव न हो तो सोमवार को उपवास के साथ, मंदिर में ओम नम: शिवाय के साथ जल अवश्य चढ़ाए।