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भगवान जगन्‍नाथ को प्रसन्‍न करने के लिए इस तरह करें पूजा-विधि



भगवान जगन्नाथ जी की मुख्य लीला भूमि उड़ीसा की पुरी है जिसको पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं और कृष्ण भी उनका एक अंश हैं. उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ की अर्धनिर्मित मूर्तियां स्थापित हैं, जिनका निर्माण राजा इन्द्रद्युम्न ने कराया था.

क्या है रथयात्रा की विशेषता-
भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच जाते हैं, इसलिए इसका इतना ज्यादा महत्व है. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है.  रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं.

कब और कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा?-
भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक जनसामान्य के बीच रहते हैं. इसी समय मे उनकी पूजा करना और प्रार्थना करना विशेष फलदायी होता है. इस बार भगवान की रथयात्रा 04 जुलाई से आरम्भ होगी. इसी समय मे भगवान की रथ यात्रा मे शामिल हों, साथ ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें. अगर आप मुख्य रथयात्रा में भाग नहीं ले सकते तो किसी भी रथ यात्रा में भाग ले सकते हैं. अगर यह भी सम्भव नहीं है तो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें, उन्हें भोग लगायें और उनके मन्त्रों का जाप करें.

भगवान जगन्नाथ की पूजा के विशेष प्रयोग क्या हैं?

संतान प्राप्ति का प्रयोग-
- पति पत्नी पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ की पूजा करें.
- भगवान जगन्नाथ को मालपुए का भोग लगायें.
- इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें.
- एक ही मालपुए के दो हिस्से करें , आधा आधा पति पत्नी खाएं

परिवार के लोगों में प्रेम बढ़ाने का प्रयोग-
- भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के चित्र या मूर्ति की स्थापना करें
- उनको फूलों से सजाएँ और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं
- इसके बाद सभी लोग मिलकर "हरि बोल - हरि बोल" का कीर्तन करें
- फिर साथ में मिलकर प्रसाद ग्रहण करें

ग्रह पीड़ा से मुक्ति पाने का प्रयोग-
- पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ का पूजन करें
- उनको चन्दन लगायें , विभिन्न भोग प्रसाद और तुलसीदल अर्पित करें
- इसके बाद गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें, या गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें
- भोग प्रसाद खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं
- जो कोई भी इस प्रसाद को खायेगा , उसकी बाधाओं का नाश होगा

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