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क्‍यों चढ़ाते है भगवान श्री गणेश को दूर्वा



भगवान गणेश को दूर्वा क्यों चढ़ाते हैं, इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। 

ये है दूर्वा से संबंधित कथा
 कथा के अनुसार पुराने समय में अनलासुर नाम का एक राक्षस था। इस राक्षस के आतंक को सभी देवता खत्म नहीं कर पा रहे थे, उस समय गणेशजी ने अनलासुर को निगल लिया था। जिससे गणेशजी के पेट में बहुत जलन होने लगी थी। इसके बाद ऋषियों ने खाने के लिए दूर्वा दी। दूर्वा खाते ही गणेशजी के पेट की जलन शांत हो गई। इसी के बाद से गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।

कैसे चढ़ाते हैं दूर्वा
 गणेशजी को दूर्वा एक खास तरीके से चढ़ाई जाती है। दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेशजी को चढ़ाया जाता है। 22 दूर्वा को एक साथ जोड़ने पर दूर्वा के 11 जोड़े तैयार हो जाते हैं। इन 11 जोड़ों को गणेशजी को चढ़ाना चाहिए। पूजा के लिए किसी मंदिर के बगीचे में उगी हुई या किसी साफ जगह पर उगी हुई दूर्वा ही लेना चाहिए। जिस जगह गंदा पानी बहकर आता हो, वहां की दूर्वा भूलकर भी न लें। दूर्वा चढ़ाने से पहले साफ पानी से इसे धो लेना चाहिए। दूर्वा चढ़ाते समय गणेशजी के 11 मंत्रों का जाप करना चाहिए। 

ये मंत्र हैं...
ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नमः, ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, ऊँ विनायकाय नमः, ऊँ ईशपुत्राय नमः, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, ऊँएकदन्ताय नमः, ऊँ इभवक्त्राय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः

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