सूर्य के मृगशिरा में प्रवेश से 22 जून तक नहीं मिलेगी गर्मी से राहत, जम्मू-कश्मीर रहेगा चर्चा में
सूर्यदेव का मंगल के नक्षत्र मृगशिरा में प्रवेश 8 जून 2019 को शाम 6:13 मिनट पर होगा। वह 22 जून 2019 को सायंकाल 5:19 मिनट पर मृगशिरा को छोड़ कर अगले नक्षत्र आर्दा में प्रवेश करेंगे। मेदिनी ज्योतिष की दृष्टि से ग्रहों का राजा सूर्य प्रकृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सूर्य देव अग्नि तत्व के स्वामी है इनकी गर्मी जीवन जीने के लिए लाभदायक है। मंगल भी ऊर्जा का कारक है और सूर्य भी, लिहाजा लोगों को 22 जून तक गर्मी से कोई खास निजात नहीं मिलने वाली है।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी (AIFAS) के कानपुर चैप्टर के असिस्टेंट प्रोफेसर शील गुप्ता ने बताया कि अन्न एवं वनौषधि के बीज बोने के बाद उसका पोषण, वृद्धि और उसे भोजन योग्य तैयार करने में प्राकृतिक वातावरण में जो भी परिवर्तन है, उसका विचार सूर्य से किया जाता है। मौसम, भूकंम्प, खाद्य एवं मसाले एवं सभी प्रकार की उपज या अन्य कोई कारण, जिससे जनमानस प्रभावित हो इसका विचार सूर्य से किया जाता है।
कानपुर। सूर्यदेव का मंगल के नक्षत्र मृगशिरा में प्रवेश 8 जून 2019 को शाम 6:13 मिनट पर होगा। वह 22 जून 2019 को सायंकाल 5:19 मिनट पर मृगशिरा को छोड़ कर अगले नक्षत्र आर्दा में प्रवेश करेंगे। मेदिनी ज्योतिष की दृष्टि से ग्रहों का राजा सूर्य प्रकृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सूर्य देव अग्नि तत्व के स्वामी है इनकी गर्मी जीवन जीने के लिए लाभदायक है। मंगल भी ऊर्जा का कारक है और सूर्य भी, लिहाजा लोगों को 22 जून तक गर्मी से कोई खास निजात नहीं मिलने वाली है।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी (AIFAS) के कानपुर चैप्टर के असिस्टेंट प्रोफेसर शील गुप्ता ने बताया कि अन्न एवं वनौषधि के बीज बोने के बाद उसका पोषण, वृद्धि और उसे भोजन योग्य तैयार करने में प्राकृतिक वातावरण में जो भी परिवर्तन है, उसका विचार सूर्य से किया जाता है। मौसम, भूकंम्प, खाद्य एवं मसाले एवं सभी प्रकार की उपज या अन्य कोई कारण, जिससे जनमानस प्रभावित हो इसका विचार सूर्य से किया जाता है।
कानपुर। सूर्यदेव का मंगल के नक्षत्र मृगशिरा में प्रवेश 8 जून 2019 को शाम 6:13 मिनट पर होगा। वह 22 जून 2019 को सायंकाल 5:19 मिनट पर मृगशिरा को छोड़ कर अगले नक्षत्र आर्दा में प्रवेश करेंगे। मेदिनी ज्योतिष की दृष्टि से ग्रहों का राजा सूर्य प्रकृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सूर्य देव अग्नि तत्व के स्वामी है इनकी गर्मी जीवन जीने के लिए लाभदायक है। मंगल भी ऊर्जा का कारक है और सूर्य भी, लिहाजा लोगों को 22 जून तक गर्मी से कोई खास निजात नहीं मिलने वाली है।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी (AIFAS) के कानपुर चैप्टर के असिस्टेंट प्रोफेसर शील गुप्ता ने बताया कि अन्न एवं वनौषधि के बीज बोने के बाद उसका पोषण, वृद्धि और उसे भोजन योग्य तैयार करने में प्राकृतिक वातावरण में जो भी परिवर्तन है, उसका विचार सूर्य से किया जाता है। मौसम, भूकंम्प, खाद्य एवं मसाले एवं सभी प्रकार की उपज या अन्य कोई कारण, जिससे जनमानस प्रभावित हो इसका विचार सूर्य से किया जाता है।
बढ़ेगी गर्मी और तपन
20 जून तक बुध भी राहु-मंगल के साथ इस युति में शामिल रहेंगे। इस अवधि में शनि व गुरु वक्री रहेंगे। मेदिनीय ज्योतिष में अग्नि तत्व के मंगल धरती के कारक हैं। सूर्य की अग्नि जीवन दायिनी है, तो मंगल की अग्नि विध्वंसक है। राहु के साथ मिल कर इनकी अग्नि का प्रभाव कई गुना विध्वंसकारी हो जाता है। मिथुन राशि वायु तत्व की राशि है। अग्नि को वायु का साथ मिले, तो ज्वालामुखी जैसा प्रभाव हो सकता है।
लिहाजा, इस अवधि में तेज गर्म हवाएं चल सकती है। धरती की तपन भी बढ़ सकती है। राहु के प्रभाव से भूमि पर दरारें भी पड़ सकती हैं। भूगर्भ जल स्तर भी सामान्य से अधिक कम हो सकता है और जन व पशु हानि हो सकती है। बुध भी 20 जून तक अपनी मिथुन राशि मे ही रहेंगे और मंगल-राहु की युति से पीड़ित रहेंगे। इस अवधि में हरी खाद्य सब्जियां का उत्पादन कम हो सकता है इनके मूल्य बढ़ सकते हैं।
इन वर्गों के लोग रहें सावधान
बुध कम्युनिकेशन, मीडिया, राजदूत, बौद्धिक वर्ग, व्यापार व आपसी बातचीत का कारक है। इस अवधि में इनसे सम्बंधित भी अशुभ घटनाएं व उग्रता तनातनी देखने को मिल सकती है। शनि-केतु के प्रभाव से मजदूर वर्ग, जमीदार, वृद्ध पुरुष आदि सामूहिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं। सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में गोचर सर्वतोभद्र चक्र के अनुसार, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को अपनी सन्मुख दृष्टि से वेध कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर रहेगा चर्चा में
कूर्मचक्र के अनुसार, उत्तराषाढा नक्षत्र देश के उत्तरी पश्चमी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें जम्मू-कश्मीर व इससे लगा भू-भाग आता है। सूर्य का वेध इस स्थान पर होने से केंद्र सरकार इस क्षेत्र से विषय मे महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय ले सकती है। सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में गोचर के सम्पूर्ण काल अवधि में देश का ये हिस्सा चर्चा में रह सकता है।
मंगल और राहु, दोनों पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर कर रहे हैं। सर्वतोभद्र चक्र के अनुसार, ये दोनों सामान्य गति करते हुए अपनी सन्मुख दृष्टि से मूल नक्षत्र का वेध कर रहे हैं। मूल नक्षत्र कूर्म चक्र के अनुसार, देश के पश्चमी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। तो इस प्रकार देश के पश्चमी हिस्से में अत्यधिक गर्मी, तपन, जन उपद्रव, आगजनी आदि की आशंका है।
खाद्यान्नों की काला बाजारी संभव
वक्री शनि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में केतु के साथ हस्त नक्षत्र का वेध कर रहा है, जो कूर्म चक्र में दक्षिण हिस्से में आती है। अतः इस भाग में मानसून देर से प्रवेश कर सकता है। वक्री गुरु का गोचर ज्येष्ठा नक्षत्र वृश्चिक राशि मे हो रहा है, जो गुप्त और छुपे स्थानों की राशि है। अतः अन्न धान्य का गुप्त रूप से अवैध भंडारण काला बाजारी के लिए किया जा सकता है।