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विपरीत समय में मनुष्‍य को जरूरी है कि धैर्य बनाऐं रखे..



गौतम बुद्ध के कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र छिपे हैं। अगर इन सूत्रों को जीवन में उतार लिया जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। यहां जानिए एक ऐसा प्रसंग, जिससे धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है।
- प्रसंग के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। प्यास लगने पर उन्होंने अपने एक शिष्य को पानी लेने के लिए भेजा। शिष्य को थोड़ी दूर पर एक तालाब दिखाई दिया, लेकिन वो पानी ले न सका, क्योंकि पानी गंदा था और खाली हाथ वापस आ गया। उसने यह पूरी बात बुद्ध को बताई। इसके बाद बुद्ध ने अपने दूसरे शिष्य को भेजा।
- कुछ देर बाद दूसरा शिष्य पानी ले आया। तब बुद्ध ने उससे पूछा कि कि पानी तो गन्दा था, फिर भी तुम साफ जल कैसे ले आए?
- शिष्य ने जवाब दिया कि तालाब का पानी सचमुच गंदा था, लेकिन मैंने कुछ देर इंतजार किया। पानी में मिट्टी नीचे बैठने के बाद साफ पानी ऊपर आ गया और मैं ले आया।
- बुद्ध ये सुनकर प्रसन्न हुए और बाकी शिष्यों को भी सीख दी। बुद्ध ने कहा कि हमारा जीवन भी पानी की तरह है, क्योंकि जब तक हमारे कर्म अच्छे हैं, तब तक सब कुछ शुद्ध है, लेकिन जीवन में कई बार दुःख और समस्याएं भी आती हैं, जिससे जीवन रूपी पानी गंदा लगने लगता है।
- कुछ लोग पहले वाले शिष्य की तरह बुरे समय से घबरा जाते हैं और मुसीबत देखकर लक्ष्य से भटक जाते हैं। वे लोग जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते। वहीं दूसरी ओर जो लोग धैर्यशील होते हैं, वे व्याकुल नहीं होते और कुछ समय बाद अपने आप ही उनके दुःख समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। 

कथा की सीख
इस कथा से ये सीख मिलती है कि समस्या और बुराई कुछ समय के लिए ही जीवन रूपी पानी को गंदा कर सकती है, लेकिन अगर धैर्य से काम लेंगे तो बुरा समय स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।

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