सिर्फ सत्संग में जाने से नहीं मिल सकती बुराईयों से मुक्ति ...
पुरानी लोक कथा के अनुसार एक व्यक्ति शराब की लत की वजह से परेशान हो गया था। बहुत कोशिशों के बाद भी उसे इस लत से छुटकारा नहीं मिल रहा था। उसके मित्रों में उसे सलाह दी कि वह नगर के प्रसिद्ध संत के पास जाए, उनकी कृपा से इस लत से मुक्ति मिल जाएगी।
अगले ही दिन वह व्यक्ति संत के सामने पहुंच गया और अपनी परेशानी बता दी। संत बहुत विद्वान थे, वे उसे अपने साथ लेकर ऐसी जगह गए, जहां धूप आ रही थी। एक जगह उसे खड़ा किया और उसके हाथ में एक लड्डू देते हुए पूछा कि क्या तुम ये लड्डू अपनी परछाई को खिला सकते हो?
ये सुनते ही वह व्यक्ति हैरान हो गया, उसने कहा कि गुरुजी ये तो असंभव है, ये कैसे हो सकता है?
संत ने कहा कि ठीक ऐसी ही स्थिति तुम्हारे साथ भी है। तुम परछाई को लड्डू खिलाने की कोशिश कर रहे हो। जिस तरह परछाई को लड्डू नहीं खिला सकते हैं, ठीक उसी तरह तुम भी सत्संग में आने से अपनी लत से मुक्ति नहीं पा सकते। इस बुराई से बचने के लिए तुम्हें खुद ही लड्डू खाना होगा यानी इसके लिए तुम्हें खुद ही प्रयास करने पड़ेंगे। आज अभी इसी पल संकल्प लो और शराब छोड़ दो, आज के बाद कभी भी इसे हाथ तक मत लगाना। एक मात्र यही रास्ता है, नशे से मुक्ति पाने का।
कथा की सीख
इस कथा की सीख यह है कि सिर्फ अच्छी बातें सुनने से हम किसी बुराई से मुक्ति नहीं पा सकते हैं, इसके लिए हमें खुद ही संकल्प करना होगा। संकल्प किए बिना लत से छुटकारा नहीं मिलेगा।