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शनिचरी अमावस्या पर शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न, इन गलतियों से बचें


शनि को कर्मों का हिसाब-किताब और न्याय करने वाले देवता माना जाता है। शनि की कृपा से कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है। जो अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें शनि अच्छा फल देते हैं और गलत काम करने वालों को सबक भी सिखाते हैं। वैसे तो हर महीने अमावस्या आती है लेकिन शनिवार के दिन अमावस्या होना शुभ माना जाता है और इसे ही शनिचरी अमावस्या कहते हैं। इस दिन शनि देव की पूजा-अर्चना की जाती है।
शनि और मंगल के षडाष्टक योग व आयुष्मान योग में इस बार बैशाख माह की शनिचरी अमावस्या आज 4 मई को मनाई जा रही है। आयुष्मान योग इस बार जातकों को शुभफल देने वाला होगा। जबकि षडाष्टक योग के चलते बड़ी प्राकृतिक हानि होने की आशंका बन रही है।
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार शनिचरी अमावस्या इस बार चंद्रमा की सोलहवीं कला में मनाई जा रही है क्योंकि चंद्रमा की सोलहवीं कला को ही अमावस्या कहा जाता है। इस सोलहवीं कला का शय और उदय नहीं होता है। शनिचरी अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध, कर्म और दान पुण्य करना चाहिए।
- शनिचरी अमावस्या के दिन भगवान शनिदेव का सरसों और तिल के तेल से अभिषेक करने से शनि पीड़ित जातकों को राहत मिलती है।
- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमानजी को चोला चढ़ाएं।
- सरसों या तिल के तेल के दीपक में दो लोहे की कीलें डालकर पीपल के पास रखें।
- चींटी को शक्कर का बूरा डालें।
- अपने वजन के बराबर सरसों का खली (पीना) गौशाला में डालें।
- शनि के मंत्रों का जप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। शनि देव को प्रसन्न् करने के लिए उनके बीज मंत्र का जप करें। मंत्र है- ओम प्रां प्रीं प्रौं शः शनैश्चराय नम:।
- पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। सुबह मीठा दूध पेड़ के जड़ में चढ़ाएं। तेल का दीपक पश्चिम व दक्षिण दिशा की ओर करें और फिर मंत्र का जाप करें।
शनिचरी अमावस्या के दिन ये काम बिलकुल न करें
- शनि अमावस्या के दिन सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा आदि से दूर रहें।
- शनिदेव असहाय व गरीब लोगों को परेशान करने वालों से रुष्ट होते हैं।
- ये चीजें घर न लाएं, इससे दरिद्रता आती है: लोहा या इससे बनी चीजें, काली उड़द दाल, काले रंग के जूते, तेल।
- शनि अमावस्या पर इस बात पर ध्यान रखें कि घर में किसी प्रकार का क्लेश न करें। ऐसा करने पर नकारात्मक शक्ति पैदा होती है और पितरों की कृपा नहीं मिलती।
- पीपल का पेड़ पूजनीय है और शनिदेव की इस पेड़ पर विशेष कृपा रहती है। इसलिए कम से कम शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के पत्ते न तोड़े।

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