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हजारों सालों की तपस्‍या का फल मिलता है वरूथनी एकादशी के व्रत से


पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर ने बताया है कि वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी को वरुथिनी के नाम से पुकारा जाएगा। इसे इस लोक और परलोक में सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाएगी। वरुथिनी एकादशी के दिन जो भी व्‍यक्‍ति व्रत रखता है उसके पाप की हानि होती है और उसे दुनिया का समस्‍त सुख प्राप्‍त होता है। 

वरूथिनी के व्रत से मनुष्य दस हजार वर्षो तक की तपस्या का फल प्राप्त कर लेता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के वाराह अवतार का पूजन किया जाता है। व्रत को बेहद कठोर नियम से रखा जाना चाहिये तभी मनुष्‍य को मनवांछित फल की प्राप्‍ति होगी। इस दिन जुआ खेलना, सोना, पान खाना, दातून करना, परनिन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा असत्य भाषण- इन ग्यारह बातों का परित्याग करना चाहिये। 

Varuthini Ekadashi 2019: पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर ने बताया है कि वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी को वरुथिनी के नाम से पुकारा जाएगा। इसे इस लोक और परलोक में सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाएगी। वरुथिनी एकादशी के दिन जो भी व्‍यक्‍ति व्रत रखता है उसके पाप की हानि होती है और उसे दुनिया का समस्‍त सुख प्राप्‍त होता है। 

वरूथिनी के व्रत से मनुष्य दस हजार वर्षो तक की तपस्या का फल प्राप्त कर लेता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के वाराह अवतार का पूजन किया जाता है। व्रत को बेहद कठोर नियम से रखा जाना चाहिये तभी मनुष्‍य को मनवांछित फल की प्राप्‍ति होगी। इस दिन जुआ खेलना, सोना, पान खाना, दातून करना, परनिन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा असत्य भाषण- इन ग्यारह बातों का परित्याग करना चाहिये। 

वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा
पुराने समय में नर्मदा नदी के किनारे राजा मांधाता का राज्य था। एक बार वे जंगल में तपस्या कर रहे थे, उसी समय एक भालू आया और उनके पैर खाने लगा। मांधाता तपस्या करते रहे। उन्होंने भालू पर न तो क्रोध किया और न ही उसे मारने की कोशिश की। दर्द असहनीय होने पर उन्होंने भगवान विष्णु को याद किया। तब भगवान विष्णु ने वहां प्रकट होकर राजा की रक्षा की, लेकिन तब तक भालू ने राजा के पैरों को काफी नुकसान पहुंचा दिया था। ये देखकर राजा बहुत दुखी हुआ। तब भगवान विष्णु ने उससे कहा कि राजन् दुख न करें। भालू ने जो तुम्हें काटा है, यह तुम्हारे पूर्व जन्म के बुरे कर्मों का फल है। तुम मथुरा जाओ और वहां वरुथिनी एकादशी का व्रत विधि-विधान से करो। तुम्हारे पैर फिर से ठीक हो जाएंगे। राजा ने भगवान की आज्ञा का पालन किया और फिर से उसके पैर ठीक हो गए।

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