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जानिये किस देवता की पूजा में होता है किन फूलों का उपयोग



ईश्वर की आराधना के कई स्वरूप विद्यमान है। फलों, फूलों, अन्न, मिष्ठान्न ऐसे अनेक तरीकों से प्रभु की साधना की जाती है। पृथ्वी असंख्य तरीके के फलों, फूलों, पत्तों, पेड़-पौधों और लताओं से आच्छादित है। इसलिए सनातन संस्कृति में प्रकृति पूजा का विधान बताया गया है। इसी प्रकृति के विभिन्न घटकों से देवी- देवताओं को जोड़कर उनकी पूजा के विधान बनाए गए हैं। कुदरत के इस खजाने में फूलों को काफी महत्व है। पूजा में विभिन्न देवी देवताओं को कुछ खास तरह के फूल समर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान साधक को देते हैं।

महादेव को सफेद फूलों को समर्पित करने का विधान है। चमेली, मोगरा, सफेद गुलाब, हारश्रंगार जैसे फूल भोलेनाथ को अतिप्रिय है। इसके साथ ही आक के फूल महादेव को चढ़ाए जाते हैं।

शक्ति स्वरूपा देवी दु्र्गा को लाल फूल अतिप्रिय है इसमें गुलाब, गुड़हल और सुगंधित लाल फूल चढ़ाए जाते हैं।

श्रीहरी को कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णुजी को फूल से ज्यादा तुलसी प्रिय है इसलिए मंजरीयुक्त तुलसी पत्र चढ़ा देने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।

गणेशजी को लाल फूल और दूर्वा चढ़ाने का विशेष विधान है।

सूर्यदेव की आराधना में लाल फूलों की विधान है। इनको कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के फूल भी प्रिय है। भविष्य पुराण के अनुसार यदि भगवान सूर्य को आक का एक फूल अर्पित कर दिया जाये तो सोने की दस अशर्फियां चढ़ाने जितना पुण्य मिलता है।

श्रीकृष्ण ने महाभारत में युधिष्ठिर से कहा है कि उनको कुमुद, करवरी, मालती, हारश्रंगार, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।

देवी लक्ष्मी को कमल का फूल बेहद प्रिय है और लाल फूलों को भी देवी महालक्ष्मी को समर्पित किया जाता है।

हनुमानजी को गुलाब ,चम्पा ,चमेली ,गुड़हल ,बेला ,कनेर ,गेंदा के फूल चड़ाये जाते है।

शनि देव को नीले फूल खासकर नीले लाजवन्ती के फूल समर्पित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

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