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नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मॉं स्‍कंदमाता की पूजा, मिलती है संतान का वरदान



नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इनको स्कंदमाता कहा जाता है. यह माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं, अतः इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं. अतः इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है. इस बार मां के पांचवे स्वरूप की उपासना 10 अप्रैल को की जा रही है.

कौन हैं स्कंदमाता-
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है. उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं तथा एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है. इनका वाहन सिंह है.

मां स्कंदमाता का मंत्र: इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है-

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंदमाता की पूजा से क्या विशेष लाभ हो सकते हैं और क्या है इनकी पूजा विधि?
- स्कंदमाता की पूजा से संतान की प्राप्ति सरलता से हो सकती है.
- इसके अलावा अगर संतान की तरफ से कोई कष्ट है, तो उसका भी अंत हो सकता है.  
- स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें तथा पीली चीज़ों का भोग लगाएं.
- अगर पीले वस्त्र धारण किए जाएं, तो पूजा के परिणाम अति शुभ होंगे.
- इसके बाद भगवान से प्रार्थना करें.

किस प्रकार मां की उपासना करें कि बृहस्पति मजबूत हो?
- पीले वस्त्र धारण करके मां के सामने बैठें.
- इसके बाद "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः" का जाप करें.  
- मां से बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने की प्रार्थना करें.  

मां स्कंदमाता को आज क्या विशेष प्रसाद अर्पित करें?
- आज के दिन मां को केले का भोग लगाएं.  
- इसके बाद इसको प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.  
- संतान और स्वास्थ्य, दोनों तरह की बाधाएं दूर होंगी.  

धन के संचय का उपाय-
- नवरात्रि में मां को दो हल्दी की गांठ अर्पित करें.
- इसके बाद इन गांठों को अपने धन रखने के स्थान पर रख लें.
- आप पैसे की बचत आसानी से कर पाएंगे. 

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