चैत्र नवरात्र में मॉं की उपासना के लिए बने रहे ये शुभ संयोग
शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र की शुरुआत 6 अप्रैल को होगी। इन नौ दिनों में इस बार पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग और रवि पुष्य का संयोग बनेगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार नौ दिनों में बन रहे मंगलकारी संयोग देवी की साधना में सफलता प्रदान करेंगे। साथ ही घट स्थापना इस बार रेवती नक्षत्र में होगी। ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी के अनुसार श्रीमद् देवी भागवत व देवी ग्रंथों के अनुसार इस तरह के संयोग कम ही बनते हैं।
इसलिए यह नवरात्रि देवी साधकों के लिए खास रहेगी। नवरात्रि का समापन 14 अप्रैल को होगा। कोई भी तिथि क्षय नहीं होने से नवरात्रि पूरे नौ दिन मनाई जाएगी। शनिवार के साथ धाता योग से नवरात्रि का प्रारंभ होना अत्यंत शुभ रहेगा। प्रतिपदा तिथि दोपहर 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगी इन शुभ योगों के चलते नवदुर्गा की अराधना करना विशेष पुण्यदायक रहेगा।
ज्योर्तिविद् ओम वशिष्ठ के अनुसार एक वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है। दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र और एक शारदीय नवरात्रि होती है। चैत्र में आने वाले नवरात्रि को बड़ी या मुख्य नवरात्रि कहा जाता है। इन नौ दिनों में बहुत सारे शुभ संयोग बनेंगे। हिन्दू पंचांग की मान्यता के अनुसार चैत्र मास की नवरात्रि का पहला दिन नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
अष्टमी और नवमी साथ-साथ : स्मार्त मत के अनुसार अष्टमी और नवमी 13 अप्रैल को रहेगी। इस दिन सुबह 11.41 बजे तक अष्टमी है। इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी। इस मत में मध्यान्ह व्यापिनी नवमी को राम नवमी मानते हैं। 14 अप्रैल को सुबह 9.35 बजे तक नवमी तिथि होगी।
हर दिन बनेगा शुभ संयोग
6 अप्रैल : पहले दिन वैधृति योग और रेवती नक्षत्र में होगी घट स्थापना।
7 अप्रैल : दूसरे दिन सर्वार्थ सिद्धि का संयोग बनेगा।
8 अप्रैल : तीसरे दिन रवि योग बनेगा।
9 अप्रैल: चौथे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
10 अप्रैल : पांचवें दिन लक्ष्मी पंचमी के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा।
11 अप्रैल : छठे दिन रवियोग रहेगा।
12 अप्रैल : सातवें दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है।
13 अप्रैल : अष्टमी पर कुलदेवी पूजन व स्मार्त मतानुसार नवमी पूजन होगा।
14 अप्रैल : नवमी के साथ रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।