भाई दूज : बहनें भाई के लिए व्रत रख करती है उनकी लंबी उम्र की कामना, ये है शुभ मुहूर्त
होली के त्योहार के अगले दिन ही यानी कि 22 मार्च को भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है. भाई दूज के दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और उनकी मंगलकामना करते हुए उनका तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं. इसके बाद ही बहनें भोजन ग्रहण करती हैं. हम हर साल दस्तूर को निभाते हुए ये त्योहार मनाते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं भाई दूज का शुभ मुहूर्त.
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई दूज का मुहूर्त प्रारंभ- 22 मार्च को सुबह 03 बजकर 52 मिनट पर भाई दूज का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा.
भाई दूज का मुहूर्त समाप्त- 23 मार्च को रात 12 बजकर 55 मिनट पर भाई दूज का मुहूर्त समाप्त हो जाएगा.
पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
पौराणिक मान्यता है कि यदि संभव हो तो भैया दूज के दिन भाई बहन को अवश्य ही साथ यमुना स्नान करना चाहिए। इसके बाद भाई को बहन के यहां तिलक करवा कर ही भोजन करना चाहिए। यदि किसी कारणवश भाई बहन के यहां उपस्थित न हो सके, तो बहन स्वयं चलकर भाई के यहां पहुंचे। बहन पकवान−मिष्ठान का भोजन भाई को तिलक करने के बाद कराये। बहन को चाहिए कि वह भाई को तिलक लगाने के बाद ही भोजन करे। यदि बहन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ भाई के लिए प्रार्थना करे तो वह जरूर फलीभूत होती है।
भाई दूज की कहानी:
हिंदू शास्त्रों के अनुसार सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थीं एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना. संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई. छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यम और यमुना में बहुत प्रेम था.
यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते. एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए मिलने चले गए. यमुना अपने भाई को देख खुश हो गईं. भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया.
बहन का प्यार देखकर यमराज इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिए. यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा. यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है.
इस तरह करें भाई का पूजन
इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कहती हैं जैसे "गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े"। मान्यता है कि इस दिन अगर बड़े से बड़ा पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे। इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।