कल से शुरू होंगे होलाष्टक, शुभ कार्य रहेंगे वर्जित
हिंदू मास का यह अंतिम महीना (फाल्गुन) चल रहा है। आधा माह बीत चुका है। 14 मार्च से होलाष्टक शुरू होंगे, जो 20 मार्च को होलिका दहन के साथ ही समाप्त हो जाएंगे। इस सप्ताह होलाष्टक दोष रहेगा, जिससे सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। जानिए इसी बारे में -
- होलाष्टक के दिनों में ग्रहों के उग्र होने की वजह से नया व्यापार, गृह प्रवेश, विवाह, वाहन क्रय, जमीन व मकान की खरीदारी सहित अन्य मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। होलाष्टक के दौरान फागोत्सव की धूम रहेगी।
- 21 मार्च को होली उत्सव और 25 मार्च को रंगपंचमी मनेगी। 15 मार्च से ही खरमास शुरू हो जाएगा, जिसका समापन 14 अप्रैल को होगा। इससे एक माह तक शहनाई नहीं बजेगी।
- ज्योतिषाचार्यो के अनुसार संक्रांति 14 मार्च को होगी, लेकिन पुण्य काल 15 मार्च को माना जायेगा। भगवान सूर्यदेव 15 मार्च को सूर्योदय से पूर्व मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इससे खरमास की शुरुआत होगी।
- मार्च से दिसंबर तक 73 दिन शादियां होंगी। दो मार्च से 14 मार्च (8 दिन) के मध्य शादियां होंगी। 10 जुलाई देवशयनी एकादशी से आठ नवंबर देवउठनी एकादर्शी तक देवता शयन करेंगे, इसलिए चातुर्मास में विवाह नहीं होंगे।
- मार्च में आठ दिन मुहूर्त हैं। अप्रैल में 12 दिन, मई में 17 दिन मुहूर्त हैं। सात मई को अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त है। जून में 15 दिन, जुलाई में 7 दिन। 10 जुलाई को भड़वी नवमी है, इस दिन भी अबूझ मुहूर्त है।
- 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी से आठ नवंबर देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास में शादियां नहीं होंगी। 19 से 30 नवंबर तक नौ दिन व 5 से 12 दिसंबर के मध्य शुभ विवाह के मुहूर्त हैं।
ये है मान्यताएं
मान्यता भोलेनाथ ने क्रोध में आकर कामदेव को भष्म कर दिया था। उसी दिन से होलाष्टक की शुरूआत होती है। साथ ही मान्यता है कि इन आठ दिनों में भक्त प्रहलाद को नारायण भक्ति से क्रोधित होकर हिरण कश्यप ने होली के आठ दिन पहले कठोर यातनाएं दी थी। इस वजह से भी इस आठ दिनों को अशुभ माना जाता हैं। इन दिनों प्रभु भक्ति और व्रत करने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है। यदि व्रत नहीं कर सकते है तो दान पुण्य करना चाहिए।