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विनायक चतुर्थी पर ऐसे करे श्री गणेश को प्रसन्‍न



प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी होती है, जिन्हें भगवान श्री गणेशजी की तिथि माना जाता हैं. दो में से एक जो अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. भगवान गणेश की पूजा से बड़े से बड़े विघ्न को आसानी से टाला जा सकता है. इसीलिए इन्हें विघ्नविनाशक भी कहते हैं. भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है. कोई भी मन्त्र जाप अनुष्ठान गणेश जी की पूजा के बिना सफल नहीं होता है. इसीलिए हमारे शास्त्र में विनायक चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है.

कैसे करें विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना-

- सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके  लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें.

- उसके बाद भगवान गणेश के मंदिर में एक जटा वाला नारियल और मोदक प्रसाद के रूप में लेकर जाएं.

- उन्हें गुलाब के फूल और दूर्वा अर्पण करें तथा ॐ गं गणपतये नमः मन्त्र का 27 बार जाप करें तथा धूप दीप अर्पण करें.

- दोपहर पूजन के समय अपने घर मे अपनी सामर्थ्य के अनुसार पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें. संकल्प के बाद पूजन कर श्री गणेश की आरती करें  तथा मोदक बच्चों के बाट दें.

रुके हुए धन प्राप्ति के लिए विनायक गणेश की पूजा करें-

- गणेश चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनकर गणेश जी की पूजा करें.

- भगवान गणेश को दूर्वा को बांधकर माला बनाकर अर्पित करें.

- साथ ही उन्हें शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं फिर "वक्रतुण्डाय हुं" मन्त्र का 54 बार जाप करें.

- धन लाभ की प्रार्थना करें. थोड़ी देर बाद घी और गुड़ गाय को खिला दें या किसी निर्धन व्यक्ति को दें धन की समस्याएं दूर हो जाएंगी.

- ऐसा लगातार पांच विनायक चतुर्थी पर करें. ऐसा करने से आपका रुका हुआ धन जरूर मिलेगा.

सारी बाधा और संकटों के नाश के लिए करें उपाय-

- सुबह के समय पीले वस्त्र धारण करके भगवान गणेश के समक्ष बैठें उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं.

- अपनी उम्र के बराबर लड्डू रखें फिर एक एक करके सारे लड्डू चढ़ाएं और हर लड्डू के साथ "गं" मन्त्र जपते रहें.  

- इसके बाद बाधा दूर करने की प्रार्थना करें और एक लड्डू स्वयं खा लें और बाकी लडडू बांट दें.  

- भगवान सूर्यनारायण के सूर्याष्टक का गणेश जी के सामने 3 बार पाठ करें.  

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