राष्ट्र धर्म और परोपकार करने वाले के सहयोगी बने, निन्दा नही अपितू धन्यवाद करें - पं सुलभ शान्तु गुरु
शिव जी भी पार्वतीजी को रामकथा सुना कर सहयोगी भी बने, लोकमंगल की कामना से धन्यवाद भी किया
उज्जैन। भगवान शंकर जी ने रामकथा के प्रारंभ मे मंगलाचरण किया उसमे अपने ईष्ट बाल रुप श्रीराम जी का सस्मरंण किया। साथ ही भवानी जी को धन्यवाद भी किया। क्योकि पार्वती जी ने प्रश्न ही लोक हितकारी किया था।
श्री राम कथा के द्वितीय दिवस बुधवार को कथाव्यास पं सुलभ शांतु गुरु जी ने यह कहते हुए बोला की कोई राष्ट्र के लिऐ, धर्म के लिऐ,समाज के लिऐ,परोपकार के लिऐ काम करे उसके सहयोगी बने। साथ ही उसका धन्यवाद, प्रसंशा करे जैसे कर सकते हो। तन से मन से या धन से। नही कर सकते तो कम से कम निन्दा न करे। मे किसी राजनितीक विचार धारा से प्रेरित नही हूँ ना वाकिफ रखता हूँ पर देश मे ठीक अभी ऐसी हि स्थति बनी हुई है। आप राष्ट्रीय कार्य करने वाले के सहयोगी बने जैसे बन सकते है। यदि सार्मथ नही है तो धन्यवाद करे पर निन्दा न करे। महाराज जी ने कहा मे अपनी व्यास पीठ से आवहान करता हूँ जो सोना चाहते वो आईये मेरी कथा मे कब तक सोयेंगे मेरा काम सुनाना है। और उस परमात्मा का काम जगाने का, एक दिन जगा भी देगा और लौ लगा भी देगा। इस अवसर पर अरुण व्यास, दिनेश खंडेलवाल, अरुण गट्टानी, अमित कुमार चारी, मनोज श्रीवास्तव, नीरज राठौड़, गोरधन ’दास राजधानी, अरुण मिश्रा, वैभव सिंह चौहान, अमित कोठारी, विशाल यादव, राकेश शर्मा आदि मौजूद रहे।