रथ सप्तमी/ भगवान सूर्य से इस तरह मिलेगा आरोग्यता का वरदान
भगवान सूर्य देव को समर्पित "रथ सप्तमी" का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं। इस बार ये 12 फरवरी को है। रथा सप्तमी के दिन, सूर्योदय से पहले भक्त पवित्र स्नान करने के लिए जाते हैं। रथा सप्तमी स्नान इस दिन का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है और इसे केवल 'अरुणोदय' के समय ही किया जाना चाहिए। यह माना जाता है कि इस समय के दौरान पवित्र स्नान करने से व्यक्ति को सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसे एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस कारण रथा सप्तमी को 'आरोग्य सप्तमी' के नाम से भी जाना जाता है।
पूजन विधि व महत्व
लाल फूल और धूप से पूजा
स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय में भक्त सूर्य भगवान को 'अर्घ्यदान' देते हैं। इस दौरान भक्तों को नमस्कार मुद्रा में होना चाहिए और सूर्य भगवान की दिशा के तरफ मुख होना चाहिए। इसके बाद भक्त घी के दीपक और लाल फूल, कपूर और धूप के साथ सूर्य भगवान की पूजा करते हैं। इन सभी अनुष्ठानों को करने से सूर्य भगवान अच्छे स्वास्थ्य दीर्घायु और सफलता के वरदान देते हैं।
बनाते हैं रंगोली
रथा सप्तमी के दिन कई घरों में महिलाएं सूर्य देवता के स्वागत के लिए उनका और उनके रथ के साथ चित्र बनाती हैं। वे अपने घरों के सामने सुंदर रंगोली बनाती हैं। आंगन में मिट्टी के बर्तनों में दूध डाल दिया जाता है और सूर्य की गर्मी से उसे उबाला जाता है। बाद में इस दूध का इस्तेमाल सूर्य भगवान को भोग में अर्पण किए जाने वाले चावलों में किया जाता है।
व्रत कथा
माघ शुक्ल सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया था।
एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए। वे बहुत अधिक दिनों तक तप करके आए थे और इस कारण उनका शरीर बहुत दुर्बल हो गया था।
शाम्ब उनकी दुर्बलता का मजाक उड़ाने लगा और उनका अपमान भी किया इसे बात से क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया।
शाम्ब की यह स्थिति देखकर श्रीकृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा। पिता की आज्ञा मानकर शाम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना करना प्रारंभ किया, ऐसा करने से कुछ समय में ही कुष्ठ रोग ठीक हो गया।
इसलिए जो श्रद्धालु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना करता है। उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है।