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मौन साधना का पर्व है मौनी अमावस्‍या



माघ मास में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है और इसलिए इस दिन संगम में स्नान का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इसी दिन कुंभ में पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था। यही वजह है कि कुंभ मेले के दौरान यह शुभ संयोग बनने पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ते हैं।

माघ के महीने में स्नान का महत्व कार्तिक मास की तरह ही श्रेष्ठ है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन करना पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन प्रयागराज में मौजूद पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान कर अन्न्, वस्त्र, धन, गौ आदि का दान करने का विधान भी बताया गया है।

हमारे शास्त्र यह भी कहते हैं कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुना पुण्य मन का मनका फेरने से मिलता है। यही वजह है कि मौनी अमावस्या को आमजन संतों की भांति चुप रहकर हरि भक्ति करें तो वह उत्तम है।

अगर इस तिथि को मौन रह पाना संभव न हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस व्रत का प्रतीकात्मक अर्थ है कि हमें अपने वचनों को तौलना चाहिए। हमारे वचनों से किसी का मन आहत नहीं होना चाहिए। मुनि शब्द से ही 'मौनी" की उत्पत्ति हुई है इसलिए इस व्रत को मौन रहकर करने वाले को मुनियों के समान फल की प्राप्ति होती है।

किस दिन है मौनी अमावस्या 
मौनी अमावस्या 3 फरवरी की रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी और यह 5 फरवरी की रात 2 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों में उदयातिथि को महत्व दिया जाता है इसलिए मौनी अमावस्या का स्नान 4 फरवरी को ही करना श्रेष्ठ है। इसी दिन सभी तरह के दान इत्यादि करना उपयुक्त होगा। इस वर्ष अमावस्या सोमवार को होने के कारण उसका महत्व और बढ़ गया है। इस दिन महोदय और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहे हैं।

क्या करें मौनी अमावस्या पर
- जिन लोगों के जीवन में कष्ट और संकट बहुत ज्यादा हैं उन्हें इनसे उबरने के लिए नदी में स्नान के पश्चात आटे की गोलियां बनाकर उन्हें नदी में विसर्जित करना चाहिए ताकि ये मछलियों का भोजन बन सकें। इससे कष्टों और संकटों से छुटकारा मिलता है।

- मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन चींटियों को शकर मिला आटा खिलाना चाहिए। मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है।

- शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक लगाएं तो इससे सुख और समृद्धि की प्राप्ति होगी।

- अपनी विपन्न्ता से मुक्ति, संतान प्राप्ति और कामकाज में तरक्की के लिए चांदी को छोटा सा पीपल बनाकर दान करें तो लाभ प्राप्त होता है।

- जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करना चाहिए ताकि उन्हें विशेष फल की प्राप्ति हो सके।

- मौनी अमावस्या को कुंडली दोष से मुक्ति दिलाने वाली अमावस के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन कालसर्प दोष निवारण हेतु स्नान के पश्चात चांदी से निर्मित नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करें। पश्चात सफेद पुष्प के साथ इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें।

मौनी अमावस्या की एक व्याख्या यह भी 
भारतीय संस्कृति में चंद्रमा को मन का स्वामी माना गया है। अमावस्या पर चंद्रदर्शन नहीं होते हैं जिससे मन की स्थिति कमजोर होती है, इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयमित करने का विधान रचा गया है। इस दिन कम बोलकर किसी भी तरह के विवाद से बचने की सीख हमारे शास्त्र देते हैं। इसके अलावा यह भी कहते हैं कि चुप रहकर ईश्वर की भक्ति की जाना चाहिए। इस तरह यह बाहरी संसार से कटकर मन के भीतर गोता लगाने के लिए भी उत्तम अवसर बन जाता है।

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