भीष्म पितामह के कारण ही श्रीकृष्ण को तोड़ना पड़ा था महाभारत युद्ध में अपना वचन
29 जनवरी, मंगलवार को भीष्म पितामह जयंती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी को भीष्म पितामह की जयंती मनाई जाती है। भीष्म पितामह छः महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे थे। शैय्या पर लेटे-लेटे वे सोच रहे थे कि मैंने कौन-सा पाप किया है जो मुझे इतने कष्ट सहन करने पड़ रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने तब उन्हें उनके उस पाप के बारे में बताया था, जिसके कारण उन्हें यह कष्ट झेलना पड़ा।
भगवान कृष्ण जब भीष्म के पास आए तो उन्होंने पूछा, मैंने ऐसे कौन-से पाप किए हैं कि वाणों की शैय्या पर लेटा हूं, पर प्राण नहीं निकल रहे हैं। भगवान कृष्ण ने कहा कि आप अपने पुराने जन्मों को याद करो और सोचो कि आपने कौन-सा पाप किया है। भीष्म बहुत ज्ञानी थे। उन्होंने कृष्ण से कहा कि मैंने अपने पिछले जन्म में रतीभर भी पाप नहीं किया है।
कृष्ण ने उन्हें बताते हुए कहा कि पिछले जन्म में जब आप राजकुमार थे और घोडे पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उसी दौरान आपने एक नाग को जमीन से उठाकर फेंक दिया तो कांटों पर लेट गया था, पर 6 माह तक उसके प्राण नहीं निकले थे। उसी कर्म का फल है जो आप 6 महीने तक बाणों की शैय्या पर लेटे हैं।
महाभारत में भीष्म के कारण ही कृष्ण ने उठाया था हथियार
महाभारत में कौरव और पांडवों के बीच हो रहे युद्ध में कौरवों की सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे भीष्म पितामह ने पांडवों की सेना का कत्लेआम करना शुरू किया। पांडव सेना में हाहाकार मच गया। श्रीकृष्ण ने जब देखा कि पांडव सेना मुसीबत में है तो हथियार न उठाने का वचन देने के बावजूद वे स्वयं रथ का पहिया हाथ में थामकर भीष्म पितामह की ओर दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण को शस्त्र उठाते देखकर भीष्म पितामह ने अपना शस्त्र नीचे रख दिया।