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दो जनरेशन के बीच आर्थिक जिम्‍मेदारियों को निभाने ऐसे करें फाइनेंशियल प्‍लानिंग



आप सभी ने यंग जनरेशन, ओल्ड जनरेशन के बारे में तो सुना ही होगा, पर आप में से कुछ ही लोग होंगे जो सैंडविच जनरेशन कोन्सेप्ट से परिचित होंगे। सैंडविच जनरेशन शब्द भारतीय नस्ल की उस पीढ़ी की परिस्थितियों के लिए अनुरूप है जो अपने बच्चों के साथ-साथ अपने माँ-बाप का खर्च भी उठाते हैं। इसलिए कई बार ये पीढ़ी अपने आप को दो पीढ़ियों के बीच में फंसा हुआ महसूस करती है इसी कारण से इस पीढ़ी को सैंडविच जनरेशन कहा जाता है।

इस जनरेशन के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत होना भी बहुत जरूरी है, क्यूंकि कई बार जीवन के इस पड़ाव में विभिन्न स्तरों पर चुनौतियां अचानक बढ़ने लगती हैं जैसे बूढ़े माता- पिता के स्वास्थ संबंधी खर्चे, बढ़ते बच्चों की पढ़ाई और भविष्य की प्लानिंग। साथ ही इसी समय व्यक्ति अपने लिए हेल्थ या रिटायरमेंट प्लानिंग भी करता है और अपने बच्चों की शादी के खर्च की तैयारी करता है। इन सभी जरूरतों को पूरा करने में कई बार व्यक्ति पर ज़िम्मेदारियों का बोझ बढ़ जाता है जिससे घर खर्च में इजाफ़ा होने लगता है। इन सभी कारणों से कई बार इस पीढ़ी के लोग आर्थिक रूप से अपने आप को असहाय भी महसूस करने लगते हैं जिसकी वजह से वो मानसिक और शारीरिक परेशाननियों से जूझने लगते हैं।

अगर आप भी इस पीढ़ी के पड़ाव पर हैं या पहुँचने वाले हैं तो जानिए किस तरह की फाइनेंशियल प्लानिंग आपके लिए ज़रूरी है,ताकि आप अपनी आर्थिक समस्याओं से बेहतर तरीके से निपट सकें।

फाइनेंशियल प्राथमिकताओं को पहचानें:
ज़िम्मेदारियों को निभाना एक चुनौती भरा काम हो सकता है, खासतौर पर जब बात परिवार की हो। सैंडविच जनरेशन में व्यक्ति सीमित बजट के साथ इतने सारे दायित्वों से घिरा होता है जैसे बच्चों की पढ़ाई, शादी का खर्च, अपना घर खरीदना आदि इसके साथ ही फ़ैमिली ट्रैवल और आवागमन के लिए वाहन खरीदना भी काफी हद तक प्राथमिकता बन जाती है,जिसके बीच फंस कर व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से भी मुश्किल में पड़ जाता है। इसलिए हमेशा घर और परिवार की प्राथमिकता को समझते हुए ही कदम उठाएँ, उन चीजों को हमेशा नज़रअंदाज़ करें जो प्राथमिकता की लिस्ट में सबसे नीचे हों। हमेशा अल्पकालिक और लंबी अवधि के लिए पहले से ही प्राथमिकता निर्धारित करना एक बेहतर सुझाव माना जाता है।

सैंडविच जनरेशन के लिए जरूरी है इन्श्योरेंस:
आपकी फाइनेंशियल सुरक्षा सिर्फ आप पर निर्भर है, किसी और पर नहीं। तो इसलिए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान में निवेश करना लाभदायक होता है। खासतौर पर जब आप सैंडविच जनरेशन के पड़ाव पर हों, क्यूंकि इस दौरान परिवार में आकस्मिक खर्चे एक ही समय पर आ जाते हैं चाहे वो बच्चों की पढ़ाई का खर्च हो, बूढ़े माता- पिता के स्वास्थ का खर्च हो या खुद के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग हो। इन सब खर्चों से निपटने के लिए विभिन्न वित्तीय सेवाओं की जानकारी होना आवश्यक है जैसे; परिवार के लिए मेडिकल इन्श्योरेंस, लाइफ इन्श्योरेंस, गाड़ियों का इन्श्योरेंस, होम इन्श्योरेंस और यूएलआईपी (ULIP) प्लान्स। ULIP, बीमा कंपनियों द्वारा दिया जाने वाला एक ऐसा प्लान है, जिसमें नॉर्मल बीमा पॉलिसी के फ़ायदों से अलग इन्वेस्टर्स को वित्तीय सुरक्षा के साथ लाइफ कवर की सुविधा भी मिलती है। आजकल एचडीएफ़सी लाइफ जैसे कई संगठन अपने उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न ऑफर ला रहें है जो आम जनता के लिए काफी सुविधाजनक साबित हो रहे हैं। इस तरह के बीमा प्रोडक्टस अब आप आसानी से ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।

एक्स्पेंसिव बजट से बनाएँ दूरी:
सेविंग्स के लिए बजट बनाना सैंडविच जनरेशन के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। अधिकांश लोगों की ये धारणा होती है कि पहले खर्च करते हैं, और फिर जो बचेगा उसका निवेश करेंगें। लेकिन इस तरीके से अनावश्यक खर्च ज़्यादा होता है जिसकी वजह से बचत बहुत कम होने लगती है। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि आप अपने रोज़मर्रा के खर्चों का विश्लेषण करें कि आप किन चीजों पर कितना खर्च कर रहे हैं और क्या वो खर्च कहीं फिजूल तो नहीं है जैसे:बिना किसी जरूरत के सामानों की शॉपिंग करना, घर से बाहर पार्टी और आउटिंग करना आदि ऐसे कुछ अनावश्यक खर्चे हैं जो महीने की खर्चों को बढ़ा सकते हैं। इसलिए पहली प्राथमिकता हमेशा घरेलू और जरूरी खर्चों को दें न कि लियाबिलिटीज़ पर खर्च करें, ताकि मासिक खर्चों को सुव्यवस्थित किया जा सके और एक्स्पेंसिव बजट से बचा जा सके है।

फाइनेंशियल चर्चा में पूरे परिवार को सम्मिलित करें:
खासतौर पर ये देखा जाता है कि परिवारों में फाइनेंशियल फैसलों को लेते समय घर के सभी सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता। लेकिन ये जरूरी है, कि आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पूरे परिवार को जानकारी हो। इस तरह आपके माता-पिता को पता चल पाता है कि बुढ़ापे में उनकी वित्तीय जरूरतों का ख्याल रखने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं? इसी तरह, पत्नी और बच्चों के साथ भी निवेश के फैसले पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे पैसे के मूल्य को समझें और उसी हिसाब से अपने भविष्य की योजनाएँ बनाएँ। इसके साथ ही परिवार के लोगों व अपने लिए लाइफ इन्श्योरेंस लेते समय सभी सदस्यों को इस चर्चा में शामिल करें।

भारत में संयुक्त परिवारों का चलन काफी समय से चला आ रहा है इसलिए ये जरूरी है कि हमेशा प्लानिंग के साथ चला जाए। क्यूंकि आय के बढ़ते स्रोतों के साथ खर्च भी काफ़ी बढ रहें हैं जो खुशियों के साथ चुनौतियां भी उत्पन्न कर रहें हैं। तो अगर आप भी सैंडविच जनरेशन का एक हिस्सा हैं या फिर होने वाले हैं तो इन सभी बातों का ख्याल जरूर रखें ताकि आप अनचाही फाइनेंशियल समस्याओं से बच सकें।

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