पौष पूर्णिमा को किये दान-पुण्य से मिलता है मोक्ष, होता है कल्पवास प्रारंभ
हिंदू संस्कृति में पौष पूर्णिमा का बड़ा महत्व बताया गया है। साल 2019 की पहली पौष पूर्णिमा 21 जनवरी, सोमवार को पड़ रही है। जानिए इसके बारे में -
पौष पूर्णिमा से ही स्नान और दान का सिलसिला शुरू हो जाता है। वैसे तो हर पूर्णिमा को स्नान के बाद दान का महत्व होता है, परंतु माना जाता है कि इस पूर्णिमा पर ऐसा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दान करने और गरीबों को भोजन कराने से भगवान का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इस दिन पवित्र नदी के किनारे दीपदान करने का भी अत्याधिक महत्व होता है।
खास बात ये है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा का अनोखा संगम होता है, क्योंकि ये माह सूर्य देव का है जबकि पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करके मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। इसी दिन से माघ महीने और उसके स्नान की शुरुआत भी होती है। इस दिन स्नान के साथ ही दान करने का भी महत्व है।
कल्पवास का आरंभ
पौष पूर्णिमा से ही एक महीने के कल्पवास का भी आरंभ हो जाता है। कल्पवास का मतलब है किसी नदी या जल स्रोत के तट पर रहते हुए वेदाध्ययन और ध्यान करना। कल्पवास आरंभ पौष माह के 11वें दिन यानि एकादशी से माघ माह के 12वें दिन तक चलता है। वैसे कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास शुरू कर देते हैं। मान्यता है कि कल्पवास मनुष्य के लिए आध्यात्मिक विकास का माध्यम है और संगम पर पूरे माघ माह निवास करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।