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मकर संक्रांति : सूर्य होंगे उत्‍तरायण, शुरू होंगे मंगल कार्य



सूर्य धनु से मकर राशि में 14-15 जनवरी को मध्य रात्रि के बाद 2.30 बजे प्रवेश कर जाएंगे। सूर्यदेव के मकर पर संचरण के साथ ही अगली सुबह यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति जन्य पुण्य काल मनाया जाएगा। स्नान-दान का यह पर्व इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा होगा। दीर्घायु, आरोग्य, धन, धान्य, प्रतिष्ठा के कारक सूर्य देव के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।

17 जनवरी से वैवाहिक मुहूर्त शुरू हो रहे हैं, जो कि 14 मार्च तक बने रहेंगे। बताते चलें कि इससे पहले खरमास लगने के कारण मांगलिक कार्यों का होना बंद हो गया था। संक्रांति का अर्थ सूर्य या किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना होता है। सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। यही वह समय है, जब सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।

सूर्य मकर से मिथुन राशि तक छह माह उत्तरायण में और कर्क से धनु राशि तक छह माह दक्षिणायन रहते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन के देवताओं की रात माना जाता है। उत्तरायण में पृथ्वीवासियों पर सूर्य का प्रभाव तो दक्षिणायन में चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है। ज्योतिष के अनुसार, किसी की कुंडली में आठों ग्रह प्रतिकूल हों तो उत्तरायण सूर्य आराधना मात्र से सभी मनोनुकूल हो जाते हैं।

क्या किया जाता है
मकर संक्रांति स्नान और दान का पर्व है। यदि संभव हो तो किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। यदि नहीं तो प्रातःकाल ही घर में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद सूर्य सहस्त्रनाम, आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य चालीसा व सूर्य मंत्रादि का पाठ कर सूर्य की आराधना करें। दान के लिए यथा सामर्थ्य गुड़, तिल, खिचड़ी, चावल आदि पुरोहितों या गरीबों में बांट दें। वायु पुराण में मकर संक्रांति पर तांबूल दान का भी विशेष महत्व बताया गया है।

कब मनाएं पर्व
इस वर्ष ज्योतिषाचार्यों में मकर संक्रांति की तिथि को लेकर मतभेद है। कुछ 14 तो कुछ 15 जनवरी को मंकर संक्रांति का त्योहार करना बता रहे हैं। निर्णयसिंधु और भविष्यपुराण का मत है कि जब निशीथकाल यानी मध्य रात्रि में मकर संक्रांति होती है तो उसका पुण्यकाल अगले दिन माना जाता है। इसलिए इस वर्ष पुण्यकाल 15 की सूर्योदयकाल 07:02 मिनट से रात्रि 11:02 मिनट तक रहेगा।

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