बंपर डिस्काउंट बंद होने से परेशान ई-कॉमर्स कंपनियों ने मांगी सरकार से मोहलत
ई-कॉमर्स नीतियों में किये गए बदलावों को लेकर बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां सरकार का दरवाजा खटखटा सकती है. ये कंपनियां नए FDI नियमों को लागू करने की समयसीमा को 1 फरवरी से आगे बढ़ाने की मांग कर सकती हैं. कंपनियों का मानना है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़ी नीतियों में जो बदलाव किए गए हैं उनका पालन करने और उन्हें लागू करने के लिए कम से कम 4 से 5 महीने चाहिए. एक बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी के अधिकारी ने बताया कि किसी भी सूरत में कंपनियों को 4 से पांच महीने इसे लागू करने में लगेंगे ही.
क्या हैं नए नियम?
विदेशी निवेश वाले ऑनलाइन मार्केटप्लेस के नए नियमों से कई कंपनियों को नुकसान होगा तो कई कंपनी फायदे में रहेंगी. नया नियम किसी ई-कॉमर्स कंपनी को उन सामानों की बिक्री अपने प्लेटफॉर्म से बेचने से रोकता है, जिनका उत्पादन वह खुद या उनकी कोई सहयोगी कंपनी करती हो. इतना ही नहीं, इसमें यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई वेंडर किसी पोर्टल पर ज्यादा-से-ज्यादा कितने सामान की बिक्री कर सकता है. नई नीति में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर किसी सप्लायर को विशेष सुविधा दिए जाने पर भी रोक है.
कैशबैक, एक्सक्लूसिव सेल पर असर
नई नीति के तहत कैशबैक, एक्सक्लूसिव सेल, ब्रांड लॉन्चिंग, अमेजॉन प्राइम या फ्लिपकार्ट प्लस जैसी विशेष सेवाएं रुक सकती हैं. सरकार इन ऑनलाइन शॉपिंग प्लैटफॉर्म्स को पूरी तरह निष्पक्ष बनाना चाहती है.
सरकार के पास जा सकती हैं कंपनियां
ई-कॉमर्स कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि 26 दिसंबर को नए नियमों का ऐलान किया गया था और कंपनियों को इन बदलावों को लागू करने के लिये सिर्फ एक महीने का समय दिया गया. बहुत से मामलों में मौजूदा पार्टनर्स के साथ अनुबंध करने होंगे.
फ्लिपकार्ट और अमेजन पर सबसे ज्यादा मार
सरकार के ई-कॉमर्स नियमों को सख्त करने की सबसे ज्यादा मार फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर पड़ सकती है. नए नियमों के तहत विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियां उन कंपनियों के उत्पाद नहीं बेच सकती जिनमें वह खुद हिस्सेदार हैं. इसके अलावा विशेष ऑफर और भारी छूट पर भी रोक लगाई गई है.