नए साल में हर नागरिक पर 62 हजार रूपये का कर्ज, इस तरह हुए कर्जदार
नए साल की शुरुआत हो चुकी है. नए साल में हर किसी की यही कोशिश होगी कि वह फाइनेंशियल तौर पर मजबूत हो लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि भारत के हर व्यक्ति पर औसतन 62 हजार रुपये से ज्यादा का कर्ज है. यह कर्ज कैसे और क्यों है, इसका गणित हम आपको समझाते हैं.
दरअसल, हाल ही में वित्त मंत्रालय के सरकार कर्ज प्रबंधन ने तिमाही रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार का कुल कर्ज सितंबर के अंत तक बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. देश की 134 करोड़ की आबादी के हिसाब से गणना करें तो हर नागरिक पर करीब 62 हजार रुपये का कर्ज है. रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल जून के अंत तक सरकार पर यह कर्ज 79.8 लाख करोड़ रुपये था. वहीं तब इसी आबादी के अनुसार आप पर कर्ज 59 हजार 552 रुपये था. यानी सिर्फ तीन महीनों में आप पर 2,448 रुपये का कर्ज बढ़ा है. वहीं सरकार पर इन तीन महीने में 2.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज बढ़ा है.
क्यों बढ़ा कर्ज
वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट की मानें तो सरकार पर कर्ज बढ़ने की कई वजह हैं. पहली सबसे बड़ी वजह कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि है. इसके अलावा डॉलर के खिलाफ रुपये के मूल्य में गिरावट और अमेरिकी फेड-भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दरों में बढ़ोतरी से भी देनदारी में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि करीब 26.6 फीसदी बकाया सिक्युरिटीज की मैच्योरिटी अवधि पांच साल से कम है. जबकि साल 2018 के सितंबर अंत तक 41.4 फीसदी कॉमर्शियल बैंकों के लिए और 24.6 फीसदी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए देनदारी है.
वहीं 10 साल की मैच्योरिटी वाली सरकारी बांडों पर यील्ड 11 सितंबर, 2018 को बढ़कर 8.18 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं 11 साल की मैच्योरिटी अवधि वाली बांडों को छोड़ अन्य सभी बांडों पर यील्ड वृद्धि हुई है. बांड पर मिलने वाले रिटर्न या कमाई को यील्ड कहते हैं. बांड यील्ड में जोखिम कम होता है इसलिए इसमें रिटर्न भी कम होता है.
यह कर्ज अभी और बढ़ेगा!
सरकार या आप पर यह कर्ज अभी और बढ़ने वाला है. दरअसल, अमेरिका की आर्थिक नीतियों की निगरानी करने वाली संस्था रिजर्व फेड ने हाल ही में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी. इसके साथ ही इस बात के संकेत दिए थे कि आने वाले दिनों में ब्याज दरों में फिर बढ़ोतरी की जा सकती है. बढ़ोतरी के इस संकेत का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. हालांकि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर इस कर्ज को रिकवर करने में मदद कर सकता है.
कर्ज बढ़ता गया तो आप पर क्या असर होगा
अगर कर्ज बढ़ता गया तो इसका असर महंगाई के जरिए होगा. आरबीआई का भी मानना है कि आने वाले वर्ष में महंगाई का खतरा बढ़ रहा है. दरअसल, बीते महीने मौद्रिक समीक्षा नीति के बाद आरबीआई द्वारा जारी किए गए समीक्षा ब्यौरा में तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि जहां वित्त वर्ष 2018-19 के दूसरी छमाही में महंगाई 2.7 से 3.2 फीसदी हो सकती है वहीं वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के दौरान यह 3.8 से 4.2 फीसदी हो सकती है. ऐसे में इसका असर आपकी जेब पर पड़ सकता है.