भौम प्रदोष व्रत : भगवान भोलेनाथ दिलाते है कर्ज से मुक्ति
मंगल ग्रह को ही भौम कहते हैं और मंगलवार को जब प्रदोष का व्रत आता है तो इसका महत्व बढ़ जाता है. मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि भौम प्रदोष के दिन यदि जातक भगवान शंकर की विधिवत पूजा करें तो जीवन में कर्ज से कभी परेशानी नहीं होती और ना ही कभी धन की कमी होती है.
अगर कर्ज तले दबे हुए हैं तो भौम प्रदोष व्रत करना लाभदायी हो सकता है.
व्रत विधि:
भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है और साथ में हनुमान जी की भी पूजा होती है. भौम प्रदोष की शाम को हनुमान चालीसा का पाठ बेहद शुभकारी होता है. अगर मंगल भारी है तो इससे लाभ मिलता है.
1. भौम प्रदोष व्रत के दिन व्रती सुबह स्नान कर भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए और व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.
2. पूरे दिन मन में “ऊँ नम: शिवाय ” का जाप करें.
3. पूरे दिन व्रत रखें. यदि आप कुछ खाना चाहते हैं तो फल और दूध आदि खा सकते हैं.
4. त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिये.
5. भौम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे के बीच की जाती है.
6. शाम को पूजा करने से पूर्व स्नान करें और उसके बाद साफ और स्वच्छ कपड़ा पहनकर ही पूजन करें.
7. पूजा करने से पहले पूजा घर को भी साफ करें.
8. पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें.
9. कलश में शुद्ध जल भर लें. कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें.
10. “ऊँ नम: शिवाय ” मंत्र का जाप करते हुए भगवान शंकर को जल अर्पित करें. इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें.
11. भगवान शंकर का ध्यान करें और ध्यान के बाद भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें और सुनाएं.
12. कथा के बाद हवन करें और “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा ” मंत्र से 108 बार आहुति दें.
13. इसके बाद भगवान शंकर की आरती करें.
14. प्रसाद वितरित करें.