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उत्‍पन्‍ना एकादशी व्रत के प्रभाव से मिलता है मोक्ष, जानें व्रत कथा और विधि...



अभी कृष्ण जी को प्रिय मार्गशीर्ष मास चल रहा है। इस महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है, जो इस बार 3 दिसंबर को है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उत्पन्ना एकादशी से जुड़ी खास बातें
क्यों कहा जाता है उत्पन्ना एकादशी
इस बात को बहुत कम ही लोग जानते हैं कि एकादशी एक देवी थी, जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। एकादशी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थी, जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा. इसी दिन से एकादशी व्रत शुरु हुआ था।

क्या है मान्यता
इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ, तीर्थ स्नान व दान आदि करने से भी ज्यादा पुण्य मिलता है। उपवास से मन निर्मल और शरीर स्वस्थ होता है। ऐसा मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन से ही एकादशी व्रत करने की शुरुआत की जाती है।
 
व्रत विधि
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि (2 दिसंबर) को शाम का भोजन करने के बाद अच्छी प्रकार से दातुन करें ताकि अन्न का अंश मुँह में रह न जाए। रात के समय भोजन न करें।

एकादशी के दिन सुबह 4 बजे उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात शौच आदि से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करें।
इसके पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें और रात को दीपदान करें। रात में सोए नहीं।
सारी रात भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए। जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनकी क्षमा माँगनी चाहिए। 
सुबह पुन: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें व योग्य ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथा संभव दान देने के पश्चात ही स्वयं भोजन करना चाहिए।

व्रत कथा
स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी माता के जन्म की कथा सुनाई। कथा कुछ इस प्रकार थी। सतयुग के समय एक महाबलशाली राक्षस था, जिसका नाम मुर था।

उत्पन्ना एकादशी तिथि और मुहूर्त
एकादशी व्रत तिथि: 03 दिसंबर 2018

 पारण का समय: 07:02 से 09:06 बजे तक (4 दिसंबर 2018)
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त: 12:19 बजे (4 दिसंबर 2018)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 14:00 बजे से (2 दिसंबर 2018)
एकादशी तिथि समाप्त: 12:59 बजे (3 दिसंबर 2018)

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