अपनी चलाई हुई योजनाओं का सर्वे कराएंगी सरकार, जानेगें लोगों पर कितना पड़ा प्रभाव
नई दिल्ली. मोदी सरकार ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत सरकार ने योजना बनाई है कि वह पिछले साढ़े चार साल के दौरान शुरू हुईं अपनी योजनाओं के प्रभाव का सर्वे कराएगी। सर्वे के नतीजों का इस्तेमाल वोटर्स को लुभाने में किया जाएगा।
योजना से संबंधित मंत्रालय उठाएंगे सर्वे का खर्च
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह सर्वे देश के करीब 500 जिलों में कराया जाएगा। साथ ही, यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इन योजनाओं से लोगों के जीवन पर कितना प्रभाव पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक, हर एक योजना के लिए सभी 500 जिलों में करीब एक हजार लोगों की राय ली जाएगी। इन सर्वे के लिए संबंधित मंत्रालय या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) फंड देंगे। यदि पीएसयू के मंत्रालय ने किसी विशेष योजना को लागू किया है तो उस योजना के सर्वे पर होने वाला खर्च वही उठाएगा।
सबसे पहला सर्वे उज्ज्वला योजना का
माना जा रहा है कि सबसे पहला सर्वे प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर होगा। यह योजना गरीबी रेखा के नीचे आने वाली महिलाओं के घर तक एलपीजी कनेक्शन पहुंचाने के लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लागू की थी। इसके तहत तीन ऑयल पीएसयू एक साथ मिलकर इस योजना का सर्वे कराएंगे।
रिसर्च एजेंसियों की तलाश शुरू
सरकार ऐसी सर्वेक्षण एजेंसियों की पहचान कर रही है, जो इन सर्वे को बखूबी कर सकें। एक रिसर्च कंपनी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ने बताया कि इन सर्वे के लिए कई एजेंसियां सरकार से बातचीत कर रही हैं। अनुमान है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा फरवरी 2019 में हो जाएगी। ऐसे में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से बचने के लिए ये सर्वे जल्द ही कराए जाएंगे।
2014 मध्य में सत्ता में आई थी एनडीए सरकार
2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की थी। इनमें दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, स्किल इंडिया, उज्ज्वला योजना और जन-धन योजना आदि शामिल हैं।