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दर्द में भी प्रसन्नता का भाव रखें मानो कोई कर्ज चुक रहा हों


खाराकुआ पेढ़ी पर प्रवचन दौरान बोले आचार्य जिन मणिप्रभ सागर, कल अवंती पार्श्वनाथ तीर्थ में जाजम बिछाने का चढ़ावा होगा 

उज्जैन। यदि जीवन में हम एक मूल मंत्र सीख ले तो कभी विचलित नहीं रहेंगे। वह यह है कि मान लो कभी हमें किसी कारण से दर्द या दुख आए तो हम इसे प्रसन्न भाव से स्वीकार करें और माने कि हमारे किसी कर्म के कर्ज रूप में यह चूक रहा है। क्योंकि जो खानदानी लोग होते हैं वह अपने माथे जरा भी कर्ज रखना नहीं चाहते। इसी तरह हमें जीवन के कर्मों का भी कर्ज उतारते रहना चाहिए। यह उद्गार खतरगच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ सागर सूरी ने गुरुवार सुबह खाराकुआ स्थित श्री ऋषभदेव छगनिराम पेढ़ी तीर्थ उपाश्रय में व्यक्त किए।

वे सुबह 9.30 बजे अवंती पार्श्वनाथ तीर्थ से विहार कर खाराकुआ तीर्थ पहुंचे और दर्शन कर प्रवचन प्रदान किये। आचार्य श्री ने तीर्थ की महत्ता बताते हुए कहा कि इसी नगरी में नवपद आराधना से राजा श्रीपाल के कुष्ठ रोग दूर हुए थे। वह बाहरी रोग था लेकिन हमें अपने आंतरिक रोग को दूर करना है। इसके लिए प्रतिदिन हमें श्रीपाल जैसा बनने का भाव मन में रखना होगा। मैं 23 साल पहले उज्जैन चातुर्मास दौरान यहां आया था और उसके बाद अब यहां आने का सौभाग्य मिला। लेकिन सभा में बैठे आप सभी भाग्यशाली है जो नित्य इस तीर्थ के दर्शन कर पाते हैं। अवंती पार्श्वनाथ तीर्थ प्रतिष्ठा में सभी को जुटने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हम बहुत कुछ चीजें बांट सकते हैं लेकिन परमात्मा को नहीं बांट सकते। बस यही हमारी शक्ति है और समर्पण भी। प्रवचन से पूर्व मनोहर हिंदू महिला मंडल, नवरत्न महिला मंडल, श्रीमती प्रमिला चोपड़ा, संजय एवं राजेंद्र  तरवेचा आदि ने स्वागत गीत प्रस्तुत किए। आचार्यश्री व महोत्सव का संक्षिप्त परिचय पुखराज चोपड़ा ने दिया। खाराकुआ पेढ़ी ट्रस्ट सचिव जयंतीलाल जैन तेलवाला के अनुसार आचार्य श्री को ट्रस्ट की ओर से कामली अर्पित की गई। प्रवचन सभा में साध्वी पूर्णयशा श्रीजी, सुरेखा श्रीजी म. सा. सहित अन्य साध्वी मंडल भी उपस्थित रहे। समाज के नरेंद्र जैन, संजय जैन ज्वेलर्स, प्रमोद जैन उन्हेलवाला,संजय नाहर, राजेश कटारिया, रमणलाल जैन, संतोष सराफ, सुरेश मिर्चीवाला निर्मल सकलेचा, चंद्रशेखर डागा, मनोज कोचर, आशीष जैन, दिलीप चोपड़ा सहित बड़ी संख्या में समाज जन मौजूद रहे। संचालन राहुल कटारिया ने किया व आभार राजेश जैन डगवाला ने माना। 

प्रवचन में यह भी बोले आचार्यश्री 

1- जीवन में एक बात का ख्याल रखें। पुण्य की टंकी हमेशा फुल रहना चाहिए, तभी आनंद के नल चलेंगे। 

2- बगैर प्रेम भक्ति नहीं हो सकती। और परिचय के बगैर प्रेम नहीं होता। यानी हमें पहले वीतराग प्रभु को जानना होगा तभी भक्ति और उनके मार्ग का अनुसरण हम कर सकेंगे। 

3- कोई भी सद्कार्य पुरुषार्थ से नहीं बल्कि सौभाग्य से होता है। मैं कहूं कि मेरे पुरुषार्थ से अवंती पार्श्वनाथ तीर्थ का जीर्णाेद्धार हुआ है तो यह गलत है। क्योंकि मुझे तो यह सौभाग्य मिला है कि मैं इसका निमित्त बना।

आज प्रवचन, कल जाजम के लिए चढ़ावा

आचार्य श्री शुक्रवार सुबह 9.30 बजे दानी गेट स्थित अवंती पार्श्वनाथ तीर्थ पर प्रवचन देंगे। 1 दिसंबर को प्रतिष्ठा महोत्सव की जाजम बिछाने का चढ़ावा बोला जायेगा। 2 दिसंबर को जाजम मुहूर्त दौरान प्रतिष्ठा महोत्सव के विभिन्न चढ़ावे होंगे। प्रतिष्ठा समिति के प्रचार संयोजक अभय जैन भैया के अनुसार इस दिन फले चुंदड़ी प्रभु के माता पिता बनने, वाराणसी नगरी व अवंती नगरी का उद्घाटन, पत्रिका पर जय जिनेंद्र, तोरण, बहूमान, विभिन्न अवसरों पर नवकारसी साधार्मिक वात्सल्य आदि के चढ़ावे बोले जाएंगे।

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