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शुभ मुहूर्त में बहन करें भाई का तिलक



पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली (Diwali 2018) जश्न के सबसे आखिरी यानी पांचवें दिन भाई दूज (Bhai Dooj 2018) का त्योहार मनाया जाता है. भाई दूज का त्योहार बहन और भाई के प्यार का प्रतीक होता है. ये त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही होता है, फर्क सिर्फ इतना है कि इस दिन राखी नहीं बांधी जाती, बल्कि बहनें सिर्फ अपने भाइयों का तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं.

भाई दूज शुभ मुहूर्त-
मुहूर्त प्रारंभ- दोपहर 1 बजकर 10 मिनट.
मुहूर्त समाप्त- दोपहर 3 बजकर 27 मिनट.
मुहूर्त अवधि- 2 घंटे 17 मिनट.

ऐसे करें तिलक
- सबसे पहले बहनें चावल के आटे से चौक तैयार करें.
- इस चौक पर भाई को बैठाएं और फिर उनके हाथों की पूजा करें.
- इसके लिए भाई की हथेली पर आप चावल का घोल लगाएं.
- इसके बाद इसमें सिन्दूर लगाकर कद्दु के फूल, पान, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र बोलें.
- किसी-किसी जगह पर इस दिन बहनें अपने भाइयों की आरती भी उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं.
- भाई का मुंह मीठा करने के लिए भाइयों को मिश्री खिलाना चाहिए.
- शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीए का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें.

क्‍यों मनाया जाता है भैया दूज?
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

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टिप्पणियां यमराज ने सोचा, ''मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.' बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा.

यमुना ने कहा, ''भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे.' यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विद ली. तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.

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