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आज की रात चन्‍द्रमा बरसेगा अमृत, रोगों से यूं मिलेगी मुक्ति


शरद पूर्णिमा  का हिंदू धर्म में खासा महत्‍व बताया गया है। माना जाता है कि इस रात को चांद से अमृत बरसता है। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। साथ ही भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन के निधिवन में इसी दिन रास रचाया था।

इसे कोजागर पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। आश्विन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। कहते हैं इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत भर जाता है और ये किरणें हमारे लिए बहुत लाभदायक होती हैं। 

शरद पूर्णिमा का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व माना गया है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है और व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं। क्योंकि इसे कौमुदी व्रत भी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो विवाहित स्त्रियां व्रत रखती है उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। जो माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत रखती है तो उनके संतान की आयु लंबी होती है। 

अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखती हैं तो उन्हें सुयोग्य और उत्तम वर की प्राप्ति होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद किसी भी दिन के मुकाबले सबसे चमकीला होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत बरसता है। चंद्रमा की किरणों में इस दिन तेज बहुत होता है जिससे आपकी आध्यात्मिक, शारीरिक शक्तियों का विकास होता है साथ ही इन किरणों में इस दिन असाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। 

 शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है, लिहाजा उसकी किरणें बेहद प्रखर और चमकीली होती हैं। इनको धरती के लोगों के लिए कई मायनों में प्रभावकारी और लाभदायक माना गया है। 

शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने के साथ मां लक्षमी की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी को लाल रंग के कपड़े पर आसन देना चाहिए। फिर धूम-बत्ती और कपूर से उनकी पूजा करनी चाहिए। साथ ही उसके बाद आप संकल्प लें। फिर लक्ष्मी चालीसा और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। फिर मां लक्ष्मी की आरती करें। 

मान्यताओं के मुताबिक इस दिन ब्राह्माणों को खीर का भोजन करवाना चाहिए जो बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही ब्राह्मणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा भी देनी चाहिए। शरद पूर्णिमा पर जागरण करना आपके जीवन के लिए अत्यंत शुभ होता है।

शरद पूर्णिमा की खीर खाने के फायदे
1. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की खीर अस्थमा रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद बताई जाती है. 
2. अस्थमा मरीजों के साथ-साथ शरद पूर्णिमा की खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है. मान्यता है कि अगर किसी भी व्यक्ति को चर्म रोग हो तो वो इस दिन खुले आसमान में रखी हुई खीर खाए. 
3. यह खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत फायदा पहुंचाती है. इसे लेकर भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद बेहद चमकीला होता है इसीलिए आंखों की कम होती रोशनी वाले लोगों को इस चांद को एकटक देखते रहना चाहिए. क्योंकि इससे आंखों की रोशनी में सुधार होता है. इसी के साथ यह माना जाता है कि इस रात के चांद की चांदनी में आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए सुई में 100 बार धागा डालना चाहिए. 
4. आंखों, दमा और चर्म रोग में फायदा दिलाने के साथ शरद पूर्णिमा का चांद और खीर दिल के मरीज़ों और फेफड़े के मरीज़ों के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. 

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