प्रार्थना में स्वयं प्रभु को मांगे, अगर भगवान हमारे पास होंगे तो समस्या होगी ही नहीं
भोपाल। वर्तमान में मनुष्य व्रत, पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान तो करता है, लेकिन उसका मन भगवान में न लगते हुए सांसारिक मोहमाया में लगा रहता है। जबकि मनुष्य को अपना मन मोहमाया में न लगाते हुए प्रभु भक्ति में रम जाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से भी उनकी भक्ति व आरधना सफल होगी।
यह विचार मंगलवार को जम्बूरी मैदान में जारी श्रीराम कथा के दौरान कथा वाचक संत मुरलीधर महाराज जी ने व्यक्त किए।
श्री राम कथा के तीसरे दिन महाराज जी ने मनुष्य को अपनी प्रार्थना में अपनी दुख तकलीफें खत्म करने के साथ ही स्वयं प्रभु को ही मांगना चाहिए, क्योंकि अगर भगवान ही हमारे पास होंगे तो कोई समस्या कैसे रहेगी।
महाराजश्री ने कहा कि जिस तरह सती माता के गमन के बाद भगवन शिव को वैराग्य हो गया था, इसी तरह हम सबको भगवान में लीन हो जाना चाहिए।
क्योंकि हरकिसी के जीवन में अनेक दुख आते हैं। लेकिन दुखों को सोचसोचकर बाबा बार आंसू नहीं बहाते रहना चाहिए। इतना अगर हम परमात्मा के लिए रोएंगे तो हामारा जीवन सार्थक हो जाएगा।