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भक्त के कष्टों को दूर करने के लिए भगवान मर्यादाएं भी तोड़ते हैं- पं. शुक्ल


उज्जैन। मर्यादाएं भगवान भी तोड़ते हैं लेकिन कब, जब कोई भक्त निश्छल भाव से उन्हें याद करता है, उनकी शरण में जाता है, जैसे सुदामा जब प्रभु का स्मरण कर उनके पास गए तो भगवान ने सारी मर्यादाएं तोड़कर अपने दांतों से उनके पैर का आखरी कांटा निकाला और असहनीय दर्द से छुटकारा दिलवाया। जीवन में यदि दुख के सागर का प्रवेश हो गया हो, कष्टों ने घर में डेरा डाल लिया हो, जब हर तरफ निराशाओं की आंधी, जीवन की आशाओं को तिनके के समान उड़ाने को आतुर दिखाई दे तो समझ लेना कि हमने प्रभु स्मरण करना छोड़ दिया है इसलिए सुख की कश्ती में सवार होने की आकांक्षा हो तो प्रभु स्मरण करो, कलयुग में प्रभु स्मरण मात्र से ही दुखों का निवारण हो जाता है। 

उक्त बात सेवाधाम आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्री कृष्ण सुदामा मिलन प्रसंग पर पं. गोपालकृष्ण शुक्ल ने कहते हुए कहा कि जो असंतुष्ट है वह दरिद्र है। जिसके पास संतोष है परमात्मा उसके जीवन में आनंद, उल्लास और उत्सव का संचार करते हैं जैसे सुदामा के जीवन में हुआ। द्रोपदी चीर हरण के कारणों पर पं. शुक्ल ने कहा कि जीवन में दूसरों का मजाक उड़ाने और किसी को हंसी का पात्र बनाने की भूल मत करना क्योंकि यह गलती द्रोपदी से हुई थी जिसके कारण महाभारत जैसा महासंग्राम हुआ। कभी-कभी हमारी एक छोटी सी भूल या क्षणिक आवेश जिंदगी में तूफान ला देता है। शिशुपाल वध कथा सुनाते हुए आपने कहा कि जब शिशुपाल श्रीकृष्ण को 100 गाली दे चुका तब श्रीकृष्ण ने गरज कर कहा बस शिशुपाल अब एक भी अपशब्द मुंह से निकाला तो तुम्हारे प्राण नहीं बचेंगे लेकिन शिशुपाल ने इस चेतावनी के बावजूद अपशब्द कहे और श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र चला कर उसका वध कर दिया। इसलिए याद रखो गलतियों पर गलतियों करो लेकिन उन्हें गिनते रहो, 100 गलतियां तो माफ हो सकती है लेकिन इसके बाद जीवन में मरघट का प्रवेश हो जाता है। जब जीवन में श्मशान का आभास होने लगे, मन अशांत हो जाए, सुख में दुख नजर आने लगे, सोभाग्य, दुर्भाग्य की तरफ मुड़ जाए तो गलतियां करना बंद कर देना। आपने 16 हजार 108 पत्नियों के शास्त्रों में उल्लेख को लेकर बताया कि कृष्ण ने रूक्मणी, सत्यभामा, जाम्बंती, कालिंदी, मित्रविंदा, वाग्नाजिता, भद्रा और लक्ष्मण इन 8 से विवाह किया था। नरकासुर की कैद से छुड़ाई 16 हजार स्त्रियों ने श्रीकृष्ण के अपना परमेश्वर माना था। कथा में रविवार को श्रीकृष्ण सुदामा मिलन की झांकी सेवाधाम के दिव्यांग बच्चों ने प्रस्तुत की। 

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