मिंटो हॉल अन्तर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर के रूप में तैयार
ऐतिहासिक मिंटो हॉल (पुराना विधान सभा भवन) अब नये स्वरूप में नई साज-सज्जा, सर्वसुविधायुक्त और बेहतर इंतजाम के साथ तैयार है। अनेक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों का साक्षी रहा यह भवन और परिसर अब अंर्तराष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर के रूप में विकसित हुआ है लेकिन इस ऐतिहासिक इमारत के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए इसके पुनरूद्धार और विकास के कार्य किये गये हैं।
उल्लेखनीय है कि भोपाल की खास पहचान मिंटो हॉल (पुराना विधानसभा भवन) को तकरीबन 64 करोड़ रुपए की लागत से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह कार्य लगभग पूर्णता की ओर अग्रसर है। इसके लिए सबसे पहले भवन के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए इसके संरक्षण एवं संवर्धन का काम किया गया है। कन्वेंशन सेंटर की बैठक क्षमता लगभग 1100 व्यक्तियों की है। इसमें वातानुकूलित लिफ्ट तथा आंतरिक और बाहृय विद्युतीकरण का काम पूर्णता की ओर है।
मिंटो हॉल भवन की दीवारों पर मूल पेंटिंग्स को यथावत रखते हुए जरदोज़ी पेंटिंग्स, सभी कक्ष, हॉल का इंटीरियर कार्य वास्तुकला के आधार पर किया गया है। परिसर में लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में लेण्ड स्केपिंग का काम पूरा किया जा चुका है। मुख्य हॉल के अतिरिक्त ऑडिटोरियरम, कमेटी कक्ष, मीडिया कक्ष भी बनाया जा रहा है। कन्वेंशन सेंटर में अत्याधुनिक ऑडियो-वीडियो सिस्टम, फायर फाइटिंग और आधुनिक एयर कंडीशनर लगाए गए हैं।
मिंटो हॉल के जीर्णोद्धार एवं विकास कार्य पुरातत्वीय अनुरक्षण विकास कार्यों की विभिन्न विधाओं को ध्यान में रखकर किया गया। प्लास्टर आदि को निकाल कर भवन में जहाँ दरारें आई हैं उसे मूल स्वरूप में लाने के लिए निर्माण को हटाकर वास्तविक भवन को मूल रूप में लाने का प्रयास किया गया। अनुरक्षण में जहाँ कहीं भी सुधार आवश्यक था उसे चिन्हांकित कर उन स्थलों का सुधार किया गया। भवन में पूर्व में लगे प्लास्टर को निकाला गया और मसाले का उपयोग कर फिर से प्लास्टर किया गया। जॉन मार्शल द्वारा निर्देशित कंजर्वेशन मेन्युअल के आधार पर सुरखी, चूना, गुड़, बेल, मेथी, उड़द, सन आदि का कॉम्पेक्ट मसाला तैयार कर प्लास्टर किया गया है। इसमें सुरखी को थोड़ा मोटा पीसकर, चूने को गलाकर जब मिक्सर में डाला जाता है तो कॉम्पेक्ट मटेरियल उसमें मिलाया जाता है। एक निश्चित अनुपात में मसाला तैयार कर काम किया जाता है। इसमें पूर्व में प्रयोग में लाये गये पत्थर का ही प्रयोग हुआ है। ब्लुस्टर्ड, जो चारों ओर बनाए गए उनको पुराने जैसे ही बनाकर लगाया गया। ‘अलंकर’ भीतरी भाग में जो किया गया बारीक कारीगरी से सुनहरे रंग से कलाकृतियाँ बनाई गई हैं। पूरे भवन में प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के रख-रखाव का पूरा ध्यान रखा गया है।
‘सिटी वॉक’ को मिला लोगों का बेहतर प्रतिसाद
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा शुरू की गई ‘सिटी वॉक’ को प्रारंभिक रूप से लोगों का बेहतर प्रतिसाद मिला है। सिटी वॉक के प्रथम चरण में ही जिस तरह सिटी वॉक को लेकर लोगों ने अपनी रुचि-रुझान और उत्साह दिखाकर इसमें सक्रिय भागीदारी की उससे प्रदेश में की गई इस पहल को स्वीकार्यता मिली है। सिटी वॉक के आयोजन के पीछे मुख्य मकसद है कि लोगों में अपने शहर, अपनी धरोहर, अपनी विरासत, संस्कृति के प्रति न केवल और अधिक गहरा लगाव हो बल्कि आने वाले सैलानियों को भी वे उत्साह के साथ इन खासियत से अवगत करा सकें।
इसके लिए ‘वॉक लीडर’ के रूप में ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें चिन्हांकित करना भी है जो इस अभियान को नियमित रूप से संचालित करने में स्वेच्छा से योगदान दे सकें। ऐसे लोगों में इच्छुक नागरिक, डॉक्टर, एडवोकेट, इंजीनियर, व्यवसायी, खिलाड़ी, प्रशासनिक अधिकारी या सेवानिवृत्त अधिकारी - कर्मचारी भी हो सकते हैं। दरअसल ‘सिटी वॉक’ के जरिये इस पहल को एक उपयुक्त प्लेटफॉर्म या मंच उपलब्ध करवाया जाना है।
‘सिटी वॉक’ के इस अभियान को पॉपुलर बनाने के लिए संबंधित शहर के नागरिकों का भी सहयोग इसमें महत्वपूर्ण रोल अदा करेगा। मध्यप्रदेश में पहली बार शुरू की गई सिटी वॉक की अवधारणा की सफलता के लिए नागरिकों का जुड़ाव ‘संवेदनशीलता’, ‘अतिथि देवो भव:’ की हमारी संस्कृति और शहर की विरासत को देखने आने वाले सैलानियों/यात्रियों के प्रति ऐसा बर्ताव कि वो एक अच्छा अनुभव लेकर लौटें, जरूरी है। शहर के नागरिकों में यह सिविक सेंस उत्पन्न किया जाना जरूरी है जिससे उनमें अपने शहर की विशेषताओं और धरोहर-संस्कृति से आगंतुकों को अवगत कराने, उनमें रुचि और जिज्ञासा पैदा करने की ललक जगा सकें।
प्रथम चरण में पिछले सप्ताहांत में प्रदेश में 11 स्थानों पर सिटी वॉक फेस्टिवल मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की पहल पर इंडिया सिटी वॉक तथा इंडिया विथ लोकल्स संस्था के सहयोग से किया गया। भोपाल के साथ इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, चंदेरी, उज्जैन, बुरहानपुर में भी सिटी वॉक आयोजित की गई। प्रतिभागियों को भोपाल के इतिहास, समृद्ध संस्कृति, नवाबी दौर के ऐतिहासिक घटना-क्रम और शान-ओ-शौकत से झीलों और ताल-तलैयों की नगरी के राजधानी के रूप में विकास क्रम से अवगत करवाया गया। प्रदेश के अन्य शहरों में भी इसी तरह जानकारी से लोगों को अवगत कराया गया।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश पर्यटन द्वारा इसके पूर्व में भी भोपाल, खजुराहो, इंदौर, ग्वालियर आदि स्थानों पर हेरिटेज वॉक आयोजित की जाती रही है। पर्यटन के प्रतिष्ठित वार्षिक आयोजन ‘मध्यप्रदेश टूरिज्म मार्ट’ के मौके पर भी हेरिटेज वॉक आयोजित की जाती है। इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए इस अवधारणा को एक संस्थागत स्वरूप देकर नियमित रूप से इसके सुव्यवस्थित आयोजन की योजना पर काम किया जा रहा है।
पर्यटन और महिला सुरक्षा पर विमर्श
पर्यटन पर्व’ के दौरान मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा ‘पर्यटन और महिला सुरक्षा’ पर केन्द्रित एक कार्यक्रम का आयोजन 25 सितम्बर को प्रसिद्ध स्थल साँची में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में ‘महिलाओं के लिये सुरक्षित पर्यटन स्थल’ विषय पर प्रकाशित ब्रोशर का विमोचन किया जायेगा। साथ ही इस विषय पर विमर्श भी किया जायेगा। विमोचन कार्यक्रम श्रीमती अदिति सिंह ‘श्रीमती इंडिया अर्थ-2018’ विशेष रूप से मौजूद रहेंगी। गौरतलब है कि वर्तमान में सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा एक ज्वलंत मुद्दे के रूप में है। इसे दृष्टिगत रखकर टूरिज्म बोर्ड द्वारा एवं महिला बाल विकास विभाग के समन्वयक से सभी जिलों में कार्यक्रम चलाया जायेगा। कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 30 प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विविध गतिविधियों का संचालन किया जायेगा।
फूड फेस्टिवल 24 सितम्बर को
‘पर्यटन पर्व के दौरान भोपाल में श्यामला हिल्स स्थित लेक व्यू होटल में फूड फेस्टिवल सोमवार 24 सितम्बर की शाम मनाया जायेगा।
राजेश मलिक